कोल्हापुर: महाराष्ट्र की राजनीति चीनी उद्योग के इर्द-गिर्द घूमती है और शायद ही कोई राजनीतिक दल इससे दूर रहे। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में, लगभग 69 चीनी मिलर्स चुनाव लड़ने के लिए मैदान में थे। जिसमें से 44 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की। उसमे से कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन अधिकांश सीटों पर आगे रही।
सत्तारूढ़ दल भाजपा-शिवसेना गठबंधन ने चुनाव लड़ने के लिए 33 चीनी मिलर्स को मैदान में उतारा था, जबकि 31 मिलर्स ने एनसीपी-कांग्रेस के टिकट से सहारे चुनाव लड़ा था। अन्य पांच मिलरों ने भी दूसरे दलों से चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई।
भाजपा-शिवसेना गठबंधन के उम्मीदवारों ने राज्य में भले ही अच्छा प्रदर्शन किया हो, लेकिन पार्टी के चीनी मिलर्स उम्मीदवार अपनी सीटों को बचाने में विफल रहे और केवल 33 में से 13 निर्वाचन क्षेत्रों पर जीत दर्ज की। इसके विपरीत, कांग्रेस-एनसीपी का प्रदर्शन 2014 के विधानसभा चुनाव परिणामों को देखते हुए सराहनीय है। उनके चीनी मिलर्स उम्मीदवारों ने 31 में से 26 सीटें जीतीं। अन्य पार्टियों के सभी पांच उम्मीदवारों ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को हराकर चुनाव जीता।
चीनी मिलों पर पकड़ बनाकर कांग्रेस-एनसीपी ने महाराष्ट्र पर शासन किया था। बाद में बदलते परिदृश्य के साथ, भाजपा-शिवसेना ने उनके गढ़ में प्रवेश किया था। लेकिन अब, इस चुनाव परिणाम के साथ, ऐसा लगता है कि कांग्रेस और एनसीपी महाराष्ट्र में चीनी उद्योग में अपनी कड़ी पकड़ वापस बनाने में समर्थ होंगे। इस चुनाव परिणाम से यह साफ़ साफ़ मालूम होता है की कांग्रेस और एनसीपी ने अपनी चीनी गढ़ में जोरदार वापसी की है।
चूंकि गन्ना किसान राज्य के प्रमुख वोट बैंक हैं, इसलिए मिलरों ने उन्हें लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने गन्ना नीति के लिए सरकार की आलोचना की थी। और शायद इसका असर भी हुआ।
आपको बता दे, बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने कुल 288 में से 220 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था, लेकिन यह लक्ष्य हासिल करने में विफल रही और 2014 के विधानसभा चुनावों की तुलना में 24 सीट की कमी के साथ 161 सीटों तक ही सीमित रही। एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन ने कुल मिलाकर इस चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया। दोनों पार्टियों ने 98 सीटें जीतीं, जो की 2014 के चुनाव की तुलना में 15 अधिक है।
भाजपा, कांग्रेस, शिवसेना, एनसीपी, और अन्य जीते हुए चीनी मिलर्स उम्मीदवारों के नाम:
पश्चिमी महाराष्ट्र
पुणे
आंबेगांव: दिलीप पाटिल (एनसीपी)
खेड आलंदी: दिलीप दत्तात्रे मोहिते (एनसीपी)
दौंड: राहुल सुभाषराव कुल (भाजपा)
बारामती: अजीत आनंतराव पवार (एनसीपी)
भोर: संग्राम अनंतराव थोप्ते (कांग्रेस)
कोल्हापुर
इचलकरंजी: प्रकाश अवाडे (निर्दलीय)
करवीर: पी एन पाटिल (कांग्रेस)
कागल: मुश्रीफ हसन मियालाल (एनसीपी)
कोल्हापुर दक्षिण: रुतुराज संजय पाटिल (कांग्रेस)
शिरोल: राजेंद्र पाटिल (निर्दलीय)
हातकणंगले: राजू अवाले (कांग्रेस)
शाहूवाड़ी: विनय कोरे (जन सुराज्य शक्ति)
सांगली
इस्लामपुर: जयंत राजाराम पाटिल (कांग्रेस)
पलुस कडेगांव: विश्वजीत कदम (कांग्रेस)
शिरला: मानसिंह नाईक (एनसीपी)
सतारा
कराड उत्तर: बालासाहेब पाटिल (कांग्रेस)
पाटन: देसाई शंभुराज शिवाजीराव (शिवसेना)
सातारा शहर: शिवेंद्रसिंह भोंसले (भाजपा)
सोलापुर
कलमाला: संजयम्मा विठ्ठलराव शिंदे (निर्दलीय)) – एनसीपी द्वारा समर्थित
पंढरपुर: भालके भरत तुकाराम (एनसीपी)
बार्शी: राजेंद्र विठ्ठल राऊत (निर्दलीय)
माढा: बबनराव शिंदे (एनसीपी)
सोलापुर दक्षिण: देशमुख सुभाष सुरेशचंद्र (भाजपा)
अहमदनगर
कर्जत जामखेड़: रोहित पवार (एनसीपी)
कोपरगाँव: आशुतोष अशोकराव काले (एनसीपी)
नेवासा: शंकरराव गदाख (क्रांतिकारी शेतकारी पार्टी)
राहुरी: प्रजाक्त तनपुरे (एनसीपी)
शिरडी: विखे पाटिल राधाकृष्ण एकनाथराव (भाजपा)
शेवगांव: मोनिका राजाले (भाजपा)
श्रीगोंदा: बबनराव पचपुते (भाजपा)
संगमनेर: विजय उर्फ बालासाहेब थोरते (कांग्रेस)
पारनेर: निलेश लंके (एनसीपी)
उत्तर महाराष्ट्र
नाशिक
येवला: छगन भुजबल (एनसीपी)
विदर्भ
साकोली: नानाभाऊ पटोले (कांग्रेस)
मराठवाड़ा
औरंगाबाद
फुलंब्री: हरिभाऊ बागडे (भाजपा)
परभनी
गंगाखेड: रत्नाकर माणिकराव गुट्टे (राष्ट्रीय समाज पक्ष) भाजपा द्वारा समर्थन
जालना
परतुर: बबनराव यादव (भाजपा)
घनसावंगी: राजेशभैया टोपे (एनसीपी)
उस्मानाबाद
तुलजापुर: राणा जगजीत सिंह पाटिल (भाजपा)
परंडा: तानाजी सावंत (शिवसेना)
नांदेड़
भोकर: अशोकराव चव्हाण (कांग्रेस)
लातूर
निलंगा: संभाजी निलंगेकर (भाजपा)
लातूर ग्रामीण: धीराज देशमुख (कांग्रेस)
लातूर शहर: अमित देशमुख (कांग्रेस)
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