नई दिल्ली : सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि, जीवाश्म ईंधन (fossil fuels) पर निर्भरता कम करने के तरीकों पर संशोधन करने की जरूरत है क्योंकि इससे पारिस्थितिकी और पर्यावरणीय मुद्दों को कम करने में मदद मिलेगी।मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि, अनुसंधान कार्यों में सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए सस्टेनेबल जीवन बनाने की भी बड़ी क्षमता है।
मंत्री गडकरी ने एजिस ग्राहम बेल अवार्ड्स के 14वें संस्करण को संबोधित करते हुए कहा, हमें जिस अनुसंधान की आवश्यकता है वह हमारे आयात (ईंधन के) को कम करने के साथ साथ सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े लोगों की मदद करने वाला चाहिये।उन्होंने कहा कि, विभिन्न प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके, एक दिन भारत मजबूत स्थिति में होगा और 5 वर्षों में एक दिन आएगा जब देश जैव-विमानन ईंधन का निर्यातक होगा।
मंत्री गडकरी ने कहा कि बांस, गेहूं के भूसे और चावल के भूसे से बायोमास का उपयोग करके एथेनॉल बनाया जा सकता है और एथेनॉल से जैव-विमानन ईंधन (bio-aviation fuel ) बनाया जा सकता है।उनके अनुसार, शोध कार्यों से स्मार्ट गांवों के विकास, जल संरक्षण और कृषि पद्धतियों के विविधीकरण में भी मदद मिलेगी।उन्होने कहा, मैं आपसे कृषि, ग्रामीण, आदिवासी के लिए अपने शोध को प्राथमिकता देने का अनुरोध करूंगा, क्योंकी इसमें एक बड़ी क्षमता है जिसके द्वारा हम उन लोगों के लिए एक स्थायी जीवन बना सकते हैं जो सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक रूप से पिछड़े है।
उन्होंने कार्बन डाइऑक्साइड से एथेनॉल बनाने के लिए चल रहे शोध कार्य का भी उल्लेख किया।मैं बहुत सारे प्रयोग कर रहा हूं।तमिलनाडु के वैज्ञानिक कार्बन डाइऑक्साइड से एथेनॉल बना रहे हैं। इसलिए, जो कुछ भी एक बड़ा शोध होने जा रहा है जो कार्बन डाइऑक्साइड से संबंधित है, यह इस देश के लोगों के लिए एक बड़ी उपलब्धि और राहत होगी।