30 जनवरी, नई दिल्ली: भारत सरकार चीनी उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए देश की मिलों के विकास के साथ इनके जीर्णोद्धार पर ध्यान दे रही है। इसके लिए चीनी मिलों के हितार्थ नीतिगत फ़ैसले लिए जा रहे है। लेकिन सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद भारतीय चीनी उद्योग वैश्विक बाज़ार में अपनी धमक पूरी तरह से नहीं बना पा रहा है।
चीनी उद्योग की वर्तमान स्थिति पर चिन्ता जताते हुए भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के महानिदेशक अबिनाश वर्मा ने कहा कि अगर हमें वैश्विक चीनी बाजार में प्रतिस्पर्धा में आना है तो गन्ना और चीनी उद्योग दोनों पर समानांतर ध्यान देना होगा। आज भारत का चीनी उद्योग वैश्विक बाजार में अपनी धमक बनाने के लिए संघर्षरत है। दुनिया के मार्केट में स्थापित होने के लिए हमें गन्ना किसानों को ग्लोबल कैन प्राइस देनी होगी वहीं चीनी उद्योग को आधुनिक प्रसंस्करण तकनीक से युक्त कर उच्च गुणवत्ता वाली चीनी उत्पादित करने की मशीनों को चीनी मिलों में प्रतिस्थापित करना होगा, ताकि उच्च ग्रेड की चीनी का उत्पादन हो जो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ब्राजील और थाईलैण्ड जैसे देशों को टक्कर दे सके। वर्मा ने कहा कि भारतीय चीनी उद्योग को दुनिया के अग्रणी उद्योगों की श्रेणी में लाने के लिए मिलों को जहां आर्थिक रूप से मजबूत करने की जरूरत है वहीं गन्ना किसानों को शोध आधारित नई किस्मों की खेती के लिए प्रेरित करने की जरूरत है ताकि कम पानी में गन्ने की खेती को प्रोत्साहन देकर अधिक उत्पादन लिया जा सके। वर्मा ने कहा कि आज जब पूरी दुनिया में चीनी मिलों के लिए आय आधारित श्रोतों को बढ़ाने की चुनौती सामने आ रही है वहीं गन्ने के अवशेषों का बेहतर प्रबंधन कर मिलों के लिए वित्तीय संयोजन की जरूरत महसूस हो रही है। ये तब ही संभव हो सकता है जब चीनी मिलें अपने यहां पर गन्ना अवशेष से इथेनॉल कंपोष्ट खाद और सौर ऊर्जा तैयार करने जैसे आय के अतिरिक्त श्रोतों को बढावा दें।
ग़ौरतलब है कि कृषि आधारित उद्योगों में गन्ना और चीनी उद्योग देश की तरक्की का महत्वपूर्ण आर्थिक आधार है जो न केवल ग्रामीण आबादी को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों रोज़गार देने का काम कर रहा है बल्कि देश में सकल घरेलू उत्पाद सूचकांक को आगे बढ़ाने का काम भी कर रहा हैं। यही वजह है कि भारत सरकार अपनी विकास आधारित नीतियां बनाने में गन्ना और चीनी उद्योग का न केवल मुख्य तौर पर ध्यान रख रही है बल्कि वैश्विक स्तर पर भारतीय चीनी उद्योग को प्रतिस्थापित करने के लिए लगातार काम भी कर रही है।
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