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नई दिल्ली : चीनी मंडी
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के डायरेक्टर जनरल अविनाश वर्मा के अनुसार, भारतीय चीनी उत्पादकों को अपनी बढ़ती हुई इनवेंटरी को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अधिशेष निर्यात करने की आवश्यकता है। वैश्विक बाजारों में 40 लाख टन चीनी की कमी है और इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीनी की कीमत में सुधार हो सकता है। चीनी अधिशेष उद्योग पर बोझ डाल रही है, इसलिए, अब चीनी के घरेलू बाजार के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में बिक्री के तरीके खोजने की जरूरत है।
घरेलू चीनी उत्पादकों को नकदी प्रवाह और धन की उपलब्धता मामले में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इस साल महाराष्ट्र और उत्तर कर्नाटक में सुखे के कारण चीनी उत्पादन प्रभावित होने की पुरी संभावना है, लेकिन कम उत्पादन से बाजार पर असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि बाजार पहले से ही अधिषेश चीनी की समस्या का सामना कर रहा है।
भारत में अक्टूबर 2019 तक लगभग 145 लाख टन चीनी होगा, जो बहुत अधिक है। भले ही इस साल उत्पादन पिछले साल के सूखे की वजह से गिरता भी है, तो फिर भी देश में पर्याप्त चीनी उपलब्ध होगी। सरकार द्वारा निर्धारित चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) के कारण मौजूदा घरेलू कीमतें 31-32.5 रुपये प्रति किलो पर मँडरा रही हैं।