नई दिल्ली : चीनी मंडी
इस समय घरेलू बाजारमें चीनी की कीमत पिछले साल की तुलना में ३ से ४ रूपये कम है, घरेलू बाजार में चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य ३ से ४ रूपये बढ़ाने की जरूरत है । अगर ऐसा होता है, तो चीनी उद्योग को बडी राहत मिल सकती है, आर्थिक कठिनाइयों से गुजर रहा चीनी उद्योग फिर संभल सकता है, ऐसा दावा ‘इस्मा’ के डायरेक्टर अबिनाश वर्मा ने ट्विट के जरिये किया है ।
पिछले साल घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों ने ४४-४५ रूपये किलोग्राम का स्तर छुआ था, इसकी तुलना में इस साल घरेलू बाजार में चीनी की कीमत ९-१० रूपये कम ही है, यह देखते हुए अगर चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य ३ से ४ रूपये बढ़ाया जाता है, तो उपभोक्ताओं को अब भी एक किलोग्राम चीनी के लिए केवल ३४-३५ रूपये देने होंगे, जो पिछले साल की तुलना में कमही है। अगर सरकार चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य में ३ से ४ रूपये का इजाफा करती है, तो चीनी मिलें सरकार की सबसिडी के बिना भी चीनी निर्यात कर सकेंगे, उसके लिए जो उन्हें अगर नुकसान उठाना पडा, तो वो चीनी मिलें घरेलू बाजार में चीनी बेचकर पूरा कर सकते है |
घरेलू और आंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतों लगातार गिरावट आने से उससे चीनी निर्यात भी काफी प्रभावित हुई है, सरकार ने चीनी मिलों का राहत देने के लिए २० लाख मेट्रिक टन चीनी निर्यात का कोटा तय किया था, लेकिन अबतक केवल ५ लाख मेट्रिक टन चीनी ही निर्यात की जा चुकी है| निर्यात कोटा लाने की सरकार की योजना चीनी मिलों के लिए कारगर साबित ना होते देख सरकार ने निर्यात की समय सीमा ३ महीने के लिए बढ़ाकर दिसम्बर तक की है| ताकि २०१८-२०१९ का क्रशिंग शुरू होने के बाद मिलें कच्ची चीनी निर्यात कर सके, लेकिन अगर उस समय भी चीनी के दाम और फिसल गये तो मुसीबत और भी बढ़ सकती है। लेकिन अगर घरेलू बाजार में चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य बढाया जाता है, तो फिर निर्यात में होने वाला घाटा चीनी मिलें खुद उठा सकती है ।