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पुणे: भारत दुनिया में चीनी के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक है, और उद्योग अभी अधिशेष चीनी स्टॉक से जूझ रहा है.
चीनी उद्योग के सामने एक बड़ी चुनौती आ सकती है क्योंकि कई कंपनियां शुगर-फ्री उत्पादों पर जोर दे रही है, जिससे भारत में चीनी की खपत कम होने का अनुमान है.
जानकारों की माने तो, शुगर-फ्री के नाम पर कई सारे लोग निगेटिव मार्केटिंग कर रहे है, जिससे चीनी उद्योग प्रभावित होगा.
महाराष्ट्र चीनी आयुक्त, श्री शेखर गायकवाड़ ने 17 जून को पुणे में वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन और डेक्कन शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा की, “कुछ लोग शुगर-फ्री के नाम पर चीनी की निगेटिव मार्केटिंग कर रहे हैं. भविष्य में टैगलाइन ‘चीनी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है’, ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होनी चाहिए.”
“वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए, आगामी दो से तीन साल चीनी उद्योग के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं”, श्री गायकवाड़ ने आगे कहा.
आजकल लोग अधिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रहे हैं, जिसका लाभ उठाते हुए, कंपनियां अधिक विकल्पों की खोज कर रही हैं और ऐसे उपभोक्ताओं के लिए शुगर-फ्री उत्पादों को बनाने में जुटी है. इससे भी चीनी की खपत कम होगी.
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) के अनुसार पूरे देश में चालू वर्ष में चीनी का उत्पादन लगभग 33 मिलियन टन होने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 5,00,000 टन अधिक है.