काठमांडू : चीनी मिलर्स ने चेतावनी दी है कि, अगर सरकार चीनी की बढ़ती तस्करी पर लगाम लगाने में विफल रही तो वे गन्ना किसानों को भुगतान रोक देंगे। नेपाल चीनी उत्पादक संघ (एनएसपीए) ने मंगलवार को एक प्रेस वार्ता आयोजित करते हुए कहा कि चीनी के अवैध सीमा पार व्यापार के कारण चीनी मिलों में चीनी का अत्यधिक स्टॉक है। एनएसपीए के अध्यक्ष शशिकांत अग्रवाल ने बताया कि, घरेलू चीनी मिलों के पास अब 5,000 टन बिना बिका चीनी का स्टॉक है।
गन्ना किसान अपने बकाये के भुगतान में देरी के कारण बार-बार सरकार और चीनी मिलों दोनों के शिकार होते रहे हैं। इसके अलावा, लगभग हर साल किसानों को सरकार द्वारा समय पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने में देरी का सामना करना पड़ता है। इस साल सरकार ने मुख्य कटाई का मौसम शुरू होने के दो सप्ताह पहले ही गन्ने का न्यूनतम मूल्य 585 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। चीनी उत्पादक जहां विभिन्न बहाने बनाकर किसानों का बकाया चुकाने में टालमटोल करते हैं, वहीं सरकार भी किसानों को सब्सिडी का भुगतान करने में देरी करती है।
वर्तमान में भी गन्ना किसान अपने उत्पादों की बिक्री के लिए सरकार द्वारा घोषित एक अरब रुपये से अधिक की सब्सिडी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सरकार गन्ना किसानों को 70 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सब्सिडी देती है। पिछले कुछ वर्षों में चीनी मिलों द्वारा समय पर भुगतान किए जाने से किसानों को कुछ राहत मिली है। हालांकि,अब चीनी उत्पादक एक बार फिर किसानों को परेशान करने की फिराक में हैं। अग्रवाल ने कहा कि पड़ोसी देशों से सस्ते दामों पर अवैध चीनी आयात के कारण चीनी मिलें घरेलू बाजार में अपना उत्पाद नहीं बेच पा रही हैं।
उन्होंने कहा, चूंकि हम पिछले साल के बचे हुए स्टॉक के ऊपर इस साल का उत्पादन भी जोड़ रहे हैं, इसलिए हम गन्ना किसानों को भुगतान नहीं कर पाएंगे। देश में कुल 13 चीनी मिलें चल रही हैं। एनएसपीए के अनुसार, नवंबर के तीसरे सप्ताह से ही करीब आधी चीनी मिलें चीनी का उत्पादन शुरू कर चुकी हैं। देश में सालाना 220,000 टन चीनी की मांग है। पिछले साल घरेलू चीनी मिलों ने कुल 178,000 टन चीनी का उत्पादन किया था। एनएसपीए ने इस साल चीनी उत्पादन में 20 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है।
सरकार चीनी के आयात पर 30 फीसदी सीमा शुल्क लगाती है। त्योहारों के दौरान चीनी की संभावित कमी का हवाला देते हुए सरकार ने साल्ट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन और फूड मैनेजमेंट एंड ट्रेडिंग कंपनी समेत सार्वजनिक उपक्रमों को 50 फीसदी सीमा शुल्क माफ कर चीनी आयात करने की अनुमति दी है।एनएसपीए के मुताबिक, उच्च सीमा शुल्क के कारण कई आयातक अवैध आयात में शामिल हैं। अग्रवाल ने कहा, अगर तस्करी पर लगाम नहीं लगाई गई तो चीनी उत्पादकों और गन्ना उत्पादक किसानों दोनों को नुकसान होगा।