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काठमांडू : घरेलू चीनी से आयातित चीनी सस्ती होने की वजह से नेपाल की मिलों की चीनी बिक्री बिल्कुल ठप हो चुकी है, जिससे नेपाली चीनी उद्योग संकट में फंसा है। उद्यमियों ने कहा कि, पश्चिम नवलपरासी में चीनी मिलें बाजार की प्रतिस्पर्धा के कारण अपना स्टॉक बेचने के लिए काफी संघर्ष कर रही हैं। नेपाली चीनी मिलों के लिए विदेशों से आयातित सस्ती चीनी का मुकाबला करना मुश्किल हो गया है। पश्चिम नवलपरासी स्थित इंदिरा शुगर मिल के बिक्री अनुभाग प्रमुख दुर्गा प्रसाद चतुर्वेदी ने कहा क, मिल के गोदाम में 21,000 क्विंटल चीनी का स्टॉक अभी भी बाकि है।
उन्होंने कहा कि, घरेलू चीनी को केवल तभी बाजार में जगह मिल सकती है, जब वैट के साथ मौजूदा चीनी की कीमत बढ़कर 78 रुपये प्रति किलोग्राम हो जाए। उन्होंने कहा कि, वर्तमान में चीनी का बाजार मूल्य 68 रुपये से लेकर 70 रुपये तक है। सरकार को चीनी की कीमत उत्पादन मूल्य के अनुरूप निर्धारित करनी चाहिए, जिसमें गन्ना मूल्य भी शामिल है।
इसी तरह, पश्चिम नवलपरासी के कुड़िया में स्थित बागमती चीनी मिल के साथ भी ऐसी ही कहानी है। बिक्री नहीं होने से करीब 52,000 क्विंटल चीनी गोदाम में पड़ी है। मिल के गन्ना महाप्रबंधक गोपाल सपकोटा ने कहा कि, नेपाली चीनी की लागत आयातित चीनी से अधिक होने के कारण, नेपाली उद्यमियों के लिए बाजार में जगह मिलना मुश्किल हो गया है। पश्चिम नवलपरासी में लगभग 10,000 परिवार गन्ने की खेती पर निर्भर हैं।