बुटवल: एक दशक पहले तक पश्चिम नवलपरासी में 3.2 मिलियन क्विंटल गन्ने का उत्पादन होता था। जिले की तीन चीनी मिलों ने लगातार तीन महीने तक गन्ने की पेराई और औसतन 288,000 क्विंटल चीनी का उत्पादन किया जाता था। लेकिन चीनी मिलों द्वारा किसानों को भुगतान में देरी और इस मुद्दे के प्रति सरकार की उदासीनता के कारण न केवल गन्ना किसानों बल्कि चीनी उद्योग को भी नुकसान पहुंचा है। चीनी मिलों द्वारा भुगतान में देरी के चलते किसानों ने गन्ना फसल करना लगभग बंद कर दिया है, जिसके कारण जिले में तीन चीनी मिलें नहीं चल रही हैं।
बागमती चीनी मिल ने नवंबर के अंतिम सप्ताह में गन्ने की पेराई शुरू कर दी थी। पर्याप्त गन्ना नहीं मिलने पर एक सप्ताह के भीतर मिल को बंद कर दिया गया। ज्यादातर किसानों ने अपनी उपज भेली मिल को बेच दी। बागमती शुगर मिल के महाप्रबंधक टंकानाथ काफले ने कहा कि, मिल को लंबे समय तक संचालित नहीं किया जा सकता है क्योंकि वे गन्ना नहीं खोज सकते हैं। प्रतिदिन 15,000 क्विंटल गन्ने की पेराई की क्षमता वाले इस मिल ने तीन महीनों में केवल 45,000 क्विंटल की पेराई की है। मिल ने पिछले साल 70,000 क्विंटल गन्ने की पेराई की थी। महाप्रबंधक काफले ने कहा, हम इस बार आंशिक रूप से उद्योग बंद कर रहे हैं क्योंकि हमारे पास पर्याप्त गन्ना नहीं है। उन्होंने कहा की, अगर पूरी क्षमता से मिल को नहीं चलाया जाता है, तो उत्पादन लागत बढ़ जाती है।