महोत्तरी: जिले में लंबित भुगतान, सरकार द्वारा सहायता की कमी के चलते गन्ने की खेती में काफी गिरावट आई है। 20 साल पहले जिले में लगभग 18,000 बीघा भूमि में गन्ने की खेती की जाती थी, लेकिन अब, यह घटकर 6,500 बीघा भूमि तक सिमित रह गई है। भंगहा नगर पालिका क्षेत्र के निवासी हीरालाल महतो, जो पहले तीन बीघा जमीन में गन्ने की खेती करते थे, अब उन्होंने केवल एक बीघा जमीन में गन्ना फसल उगाई है। इसी तरह, उसी इलाके के धनेशी महतो पहले ही दूसरी फसल की ओर मुड गए हैं। जिले के सैकड़ों बीघा जमीन में गन्ने की खेती की जाती थी, जो अब जिले के कुछ हद तक सीमित हो गई है। गन्ना किसानों ने अपनी कड़ी मेहनत और भारी निवेश के बावजूद भुगतान सहित कई समस्याओं का सामना करने के बाद उन्होंने गन्ना फसल लेना बंद कर दिया है।
महोत्तरी गन्ना उत्पादक किसान संघ के अध्यक्ष, नरेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि, गन्ने की खेती के लिए रियायती ऋण की सहायता की कमी, मूल्य निर्धारण में बाधा और मिलों द्वारा लंबित भुगतान गन्ने की खेती को छोड़ने के पीछे कुछ कारण हैं। किसानों ने कहा की, न तो गन्ने का मूल्य निर्धारित होता है और न ही भुगतान समय पर होता है। इसलिए हम इसकी खेती कम कर रहे हैं। किसानों ने आगे कहा कि, उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनकी उपज का उचित मूल्य निर्धारित करेगी।