NFCSF ने चीनी मिलों को बंद करने के CPCB के आदेश पर स्पष्टीकरण जारी किया

नई दिल्ली : देश के विभिन्न मीडिया संगठनों ने न्यूज प्रकाशित की थी कि सीपीसीबी ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन के लिए महाराष्ट्र में 45 सहकारी चीनी मिलों को बंद करने का आदेश दिया है। इस रिपोर्ट पर देशभर में सहकारी चीनी उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड (NFCSF) ने चीनी मिलों को बंद करने के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आदेश पर स्पष्टीकरण जारी किया है।

NFCSF ने एक विज्ञप्ति में कहा है की, हम महाराष्ट्र की 45 सहकारी चीनी मिलों द्वारा ओसीईएमएस (ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली) आदेशों के उल्लंघन के आरोपों के संबंध में हालिया न्यूज रिपोर्टों का जवाब देना चाहेंगे। इन रिपोर्टों में महाराष्ट्र में ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (OCEMS) मानकों के कथित उल्लंघन के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी आदेशों के संबंध में अधूरी जानकारी है।

विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि, संबंधित अधिकारियों के साथ गहन परामर्श के बाद, नेशनल फेडरेशन यह स्पष्ट करना चाहेगा कि चीनी मिलों को प्रदूषण नियंत्रण के दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए ऐसे आदेश जारी करना सीपीसीबी की एक नियमित प्रक्रिया है। 2016 के बाद से पूरे भारत में 200 से अधिक चीनी मिलों को ऐसे आदेश जारी किए गए थे। चीनी मिलें सुधारात्मक उपाय अपनाने, उन्नत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली स्थापित करने और अपने पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को लागू करने में सक्रिय रही हैं। तदनुसार, डिफॉल्टर मिलों की संख्या साल-दर-साल कम हो रही है। इस वर्ष भी महाराष्ट्र में एक नियमित प्रक्रिया के रूप में, PCB को उन चीनी मिलों की सूची प्रदान करने के लिए कहा गया है जिन्हें ओसीईएमएस/अधिसूचित मानकों पर दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए संवेदनशील बनाया जाना है/जो दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं।

NFCSF के प्रबंध निदेशक श्री प्रकाश नाइकनवरे ने जारी प्रेस नोट में कहा की, यहां यह बताना अप्रासंगिक नहीं होगा कि, महाराष्ट्र की ऐसी 45 सहकारी चीनी मिलें, जिन्हें सीपीसीबी ने आदेश जारी किए हैं, उनमें से 29 चालू नहीं हुई हैं। नेशनल फेडरेशन के मुताबिक उसकी अधिकांश सदस्य चीनी मिलें OCEMS नियमों का अनुपालन कर रही हैं और उन्होंने इन मानकों को पूरा करने के लिए अपनी परियोजनाओं में महत्वपूर्ण निवेश किया है। इन मिलों ने पर्यावरणीय जिम्मेदारी के प्रति एक मजबूत प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है, जो हमारे उद्योग के लक्ष्यों के अनुरूप है। उन्होंने आगे दोहराया है कि, इस खबर से पेराई सत्र शुरू होने में किसी भी प्रकार की देरी नहीं होगी।

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