नई दिल्ली : नेशनल फेडरेशन ऑफ को ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ (NFCSF ) के अधिकारियों ने 29 फरवरी को केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा, चीनी संयुक्त सचिव (चीनी) अश्विनी श्रीवास्तव, मुख्य चीनी निदेशक संगीत सिंगला और चीनी विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की और देश में चीनी मिलों और पूरे चीनी उद्योग को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है उसपे चर्चा की। उन्होंने बताया कि, कैसे एथेनॉल उत्पादन पर अचानक प्रतिबंध चीनी उद्योग में वित्तीय संकट का कारण बन रहा है।
महाराष्ट्र में गन्ना पेराई के लंबे सीजन और चीनी रिकवरी पर इसके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने कहा, सीजन के अंत में लगभग 18 लाख टन अधिशेष चीनी बच जाती है, जिसे एथेनॉल उत्पादन में उपयोग करने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी बताया कि, मिलों के पास बचे बी मोलासिस के अधिशेष स्टॉक का उपयोग जूस/सिरप के लिए किया जा सकता है। NFCSF ने यह भी बताया कि, इससे उत्पादित एथेनॉल की नई दरें अभी तक घोषित नहीं की गई हैं।
फरवरी से चीनी के कोटे का कम से कम 90 प्रतिशत बेचने के केंद्र सरकार के फैसले का असर बाजार में चीनी की कीमत पर पड़ रहा है, जिससे 250 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है। साथ ही टेंडर में व्यापारियों की भागीदारी भी कम हो गयी है। नतीजतन, फरवरी के अंत में दिया गया पूरा कोटा नहीं बिक पाया है।इन सबको ध्यान में रखते हुए अधिकारियों ने उनसे 90 फीसदी बिक्री प्रतिबंध में ढील देने का अनुरोध किया।
केंद्र सरकार ने फरवरी 2019 से चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य 31 प्रति किलोग्राम रुपये तय किया है, लेकिन पांच वर्षों में गन्ने की कीमत हर साल बढ़ती रही है। अत: उनके समक्ष आँकड़ों के साथ यह बात प्रस्तुत की गई कि किसानों को बढ़ी हुई दर का समय पर और पूरा भुगतान करने के लिए चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) बढ़ाना अत्यावश्यक है। NFCSF के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि, चीनी की दर में वृद्धि तार्किक रूप से सही है। उन्होंने कहा कि, केंद्र सरकार के चीनी मूल्य नियंत्रण आदेश की शर्त 4 के अनुसार चीनी की कीमत को गन्ने की कीमत से जोड़ा जा सकता है। इस हिसाब से चीनी की कीमत 40 रुपये प्रति किलो हो सकती है। यहां तक कि सीएसीपी ने भी अपनी रिपोर्ट में इसे सही ठहराया था।
NFCSF ने अनुरोध किया कि, चीनी उद्योग को मौजूदा स्थिति से बाहर निकालने के लिए केंद्र सरकार को “चीनी रिजर्व स्टॉक योजना” शुरू करने के बारे में सोचना चाहिए। NFCSF के मुताबिक, उपरोक्त सभी मुद्दों को केंद्रीय अधिकारियों ने सुना और समझा है और उन्होंने कहा कि वे यह देखने की कोशिश करेंगे कि इसका समाधान कैसे किया जाएगा।