नई दिल्ली: चीनी उद्योग संकट के दौर से गुजर रहा है और कोरोना ने हालात को और कठिन बना दिया है। नीति आयोग टास्क फोर्स ने चीनी उद्योग के वित्तीय स्वास्थ्य के सुधार के लिए गन्ने की कीमतों को चीनी दरों से जोड़ने की सिफारिश की है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नीती अयोग सदस्य (कृषि) रमेश चंद की अध्यक्षता में ”गन्ना और चीनी उद्योग ” पर पैनल की रिपोर्ट को मार्च 2020 में अंतिम रूप दिया गया था। इसे गुरुवार को सरकारी थिंक-टैंक नीती आयोग की वेबसाइट पर पोस्ट किया गया। भारत की अर्थव्यवस्था में गन्ना और चीनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
टास्क फोर्स ने किसानों को आर्थिक प्रोत्साहन प्रदान करके गन्ने की खेती के कुछ क्षेत्रों में कम पानी वाली फसलों को स्थानांतरित करने की भी सिफारिश की है। टास्क फोर्स को लगता है कि, गन्ना किसानों के लिए बकाया की समस्या को रोकने और चीनी उद्योग का वित्तीय स्वास्थ्य में बनाए रखने के लिए, गन्ने की कीमतों को चीनी की कीमतों से जोड़ा जाना चाहिए।
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Yes hona be chahia
खेत की तैयारी से लेकर ,मिल मे पहुंचने तक गन्ने पर खर्च ही होता रहता है।सारे खर्च जोड कर उसका डेड गुना रेट किसान को14दिन के अन्दर मिलना चाहिये।अब चीनी का रेट क्या होना चाहिये तो रेट ऐसा निधारित करो जिसे मिल को भी नुकसान न हो।