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वाशिंगटन, पांच फरवरी (PTI) किसानों को लाभ देने के लिए भूस्वामित्व को आधार बनाने से भारत में ग्रामीण आबादी के बड़े हिस्से को लाभ मिलने की संभावना नहीं है और यह वास्तविक समस्या को हल नहीं करेगा बल्कि राजकोषीय बोझ बढ़ायेगा। एक अमेरिकी थिंक-टैंक के एक विशेषज्ञ ने यह विचार व्यक्त किये हैं।
लगभग 12 करोड़ लघु एवं सीमांत किसानों को 6,000 रुपये प्रति वर्ष का प्रत्यक्ष वित्तीय लाभ प्रदान करने के लिए सरकार के बजटीय प्रस्ताव पर पूछे गये सवालों और विपक्षी पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा न्यूनतम आय गारंटी देने की घोषणा के बारे में पूछे जाने पर अनित मुखर्जी ने इन पहलकदमियों को चुनाव से पहले की राजनीतिक नौटंकी बताया।
सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट थिंक-टैंक के एक पॉलिसी नीतिगत मामलों के फेलो मुखर्जी ने एक साक्षात्कार में पीटीआई-भाषा को बताया, “कुछ सबूत हैं कि भूस्वामित्व के आधार पर लाभ देने के लिए किसानों का चुनाव करने से ग्रामीण आबादी के एक बड़े हिस्से को लाभ नहीं होगा। यदि सरकार पहले से ही बेहतर जीवन बिता रहे किसानों का पक्ष लेती दिखाई देती है, तो यह राजनीतिक रूप से उल्टा भी पड़ सकता है।”
प्रशासन के मुद्दों, लोक वित्त और विकासशील देशों में सेवायें पहुंचाने के मामले में अपने काम के लिये जाने जाने वाले मुखर्जी ने राहुल गांधी की न्यूनतम आय गारंटी और सरकार की सर्वजनीन आय समर्थन योजनाओं को भ्रामक बताया। उन्होंने कहा, ‘‘इन दोनों मामलों में शहरी गरीब को एकदम भुला दिया गया है। शहरी गरीबों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। लेकिन राजनीतिक दल उन्हें प्रभावी वोट बैंक की तरह नहीं देखते हैं। इसलिये इन योजनाओं का आर्थिक आधार बहुत कम है।’’
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