मुंबई: भारतीयों की कई पीढ़ियां अपने शाम के नाश्ते के दौरान एक कप चाय या दूध में पार्ले-जी बिस्किट डुबोने की संतोषजनक अनुभूति कभी नही भूल सकती हैं। 82 वर्षीय पार्ले-जी ब्रांड अब लॉकडाउन अवधि के दौरान हासिल किए गए अद्वितीय उपलब्धि के लिए सुर्खियों में है। भारत के सबसे प्रसिद्ध बिस्कुट ब्रांडों में से एक पारले-जी को 1938 में इनकॉरपोरेट किया गया था। पार्ले-जी ने लॉकडाउन के तीन महीनों के दौरान अपने पिछले सभी बिक्री रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। बिस्किट का पैकेट जिसकी कीमत 5 रुपये है, लॉकडाउन के वक्त घर वापस आने के दौरान सैकड़ों हजारों प्रवासी मजदूरों की भूक मिटाने के काम आया था।
ब्रांड के निर्माता पारले प्रोडक्ट्स ने कहा कि मार्च, अप्रैल और मई के महीने आठ दशकों में बिक्री के लिहाज से सबसे अच्छे थे। पारले प्रोडक्ट्स के श्रेणी प्रमुख मयंक शाह ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि ब्रांड की कुल बाजार हिस्सेदारी 5% बढ़ी है और इस वृद्धि का 80-90% हिस्सा पारले-जी की बिक्री से आया है। पार्ले-जी जैसे ब्रांडों ने 24 मार्च को घोषित किए जा रहे लॉकडाउन के कुछ ही समय के भीतर परिचालन शुरू कर दिया और यहां तक कि अपने कर्मचारियों के लिए परिवहन सुविधाओं की व्यवस्था की, जिससे उन्हें उस समय पर उपभोक्ताओं की मांग पर ध्यान केंद्रित करने का समय मिला।
कैसे की पारले-जी ने इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल …
एफएमसीजी क्षेत्र के विश्लेषकों ने कहा कि, बिस्किट उद्योग के खिलाड़ियों ने विशेष रूप से पिछले 2 वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में वितरण में तेजी लाई थी, जिसका फायदा लॉकडाउन के दौरान होते हुए दिखाई दिया। लॉकडाउन के दौरान बिस्किट ब्रांडों की बिक्री के बड़े पैमाने पर मजबूत आंकड़े देखे गए। कर्मचारियों के घरों में रहने और अवधि के दौरान ‘वर्क फ्रॉम होम’ के कारण भी मांग बढ़ी। पारले प्रोडक्ट्स ने अपने कम कीमत वाले लेकिन सबसे ज्यादा बिकने वाले ब्रांड जैसे पार्ले-जी के उत्पादन और वितरण पर ध्यान केंद्रित किया और खुदरा दुकानों पर इसकी उपलब्धता सुनिश्चित की।
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