राष्ट्रीय शर्करा संस्थान को तरल औद्योगिक अल्कोहल को ठोस रूप में परिवर्तित करने की एक सस्ती प्रक्रिया विकसित करने में सफलता मिली

राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर को तरल (लिक्विड)औद्योगिक अल्कोहल को ठोस रूप में परिवर्तित करने की एक सस्ती प्रक्रिया विकसित करने में सफलता मिली है। हम पेट्रोलियम आधारित उत्पादों के प्रतिस्थापन के रूप में जैव-ईंधन विकसित करने पर काम कर रहे हैं और ऑटोमोटिव ईंधन के रूप में जैव-इथेनॉल के बाद, इस तकनीक के विकास से खानपान व्यापार, पर्यटन और क्षेत्र कार्य (सेना के उद्देश्य) मे हीटिंग और वार्मिंग उद्देश्यों के लिए पेट्रोलियम उत्पाद पैराफिन (मोम) के स्थान पर इथेनॉल के ठोस रूप का उपयोग किया जा सकेगा, राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर के निदेशक श्री नरेंद्र मोहन ने कहा।

ठोस जैव अल्कोहल को पैक करना और परिवहन करना आसान है और इसका जलना धुएँ एवं कालिख का कारण नहीं बनता है, और कोई हानिकारक गैस पैदा नहीं करता है, इस प्रकार, यह पैराफिन (मोम) का सही विकल्प है, जो पेट्रोलियम उत्पाद होने के कारण जलने के दौरान कालिख का कारण बनता है और जलने की तेज और चुभने वाली गंध के अलावा जहरीली गैस का उत्सर्जन करता है, निदेशक, राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर ने कहा।

डॉ. विष्णु प्रभाकर श्रीवास्तव और सुश्री ममता शुक्ला, रिसर्च स्कॉलर द्वारा निदेशक, राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के मार्गदर्शन में यह प्रौद्योगिकी विकसित की गई है। यद्यपि ठोस अल्कोहल विकसित करने के अन्य प्रयास किए गए हैं लेकिन आम तौर इस प्रकार के उत्पादों मे खराब भंडारण स्थिरता होती है क्योंकि समय के बाद वे तरल लीक के साथ नरम और पेस्टी हो जाते हैं; कुछ जलने के दौरान काला धुआं और अजीबोगरीब गंध पैदा करते हैं, पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं; कुछ मे जलने के दौरान काले कण प्रदूषण का कारण बनते हैं एवं कुछ जलने के बाद अधिक अवशेष पैदा करते हैं, डॉ विष्णु प्रभाकर श्रीवास्तव, सहायक प्रोफेसर कार्बनिक रसायन विज्ञान ने कहा।

हमने एक क्युरिंग एजेंट के द्वारा ठोसकरण और इग्निशन डोप का उपयोग जलने की तीव्रता को बढ़ाने हेतु करके औद्योगिक अल्कोहल को ठोस बनाने की कोशिश की। हम कम मात्रा में क्योरिंग एजेंट (वजन के हिसाब से 1% से कम) के साथ लगभग 80% सांद्रता वाले औद्योगिक अल्कोहल का उपयोग करके ठोस जैव-अल्कोहल का सफलतापूर्वक उत्पादन कर पाए । हमारी पद्धति ने जैव-आधारित क्युरिंग एजेंटों और अधिक पर्यावरण के अनुकूल इग्निशन डोप के संयोजन का उपयोग किया, डॉ विष्णु प्रभाकर श्रीवास्तव, सहायक प्रोफेसर कार्बनिक रसायन विज्ञान ने कहा।
हमने अल्कोहल की विभिन्न मुख्य रसायनो जैसे कैल्शियम एसीटेट, नाइट्रोसेल्यूलोज और फैटी एसिड इत्यादि को तापमान और समय की विभिन्न परिस्थितियों में आयरन नाइट्रेट के साथ प्रक्रिया कराकर परिस्थितियों का मानकीकरण किया, सुश्री ममता शुक्ल ने बताया। उन्होंने कहा कि एक लीटर औद्योगिक अल्कोहल से लगभग 1.080 किलोग्राम ठोस बायो-अल्कोहल निकलता है।

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