ओडिशा: नयागढ़ चीनी मिल फिर से शुरू होने को लेकर असमंजस की स्थिति

नयागढ़: ओडिशा के नयागढ़ जिले में एकमात्र उद्योग नयागढ़ चीनी मिल है। फिर भी, यह मिल भी बंद हो गई है और इसे फिर से खोलने की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन चीजें अनिश्चित दिखती हैं। 2014 में नयागढ़ चीनी मिल के बंद होने के बाद से, गन्ना किसान और श्रमिक दयनीय जीवन जी रहे हैं। चुनाव के समय ही इस चीनी मिल का मुद्दा राजनीतिक मुद्दा बनता है, लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद यह मुद्दा फिर से भुला दिया जाता है। नयागढ़ और उसके आस-पास के इलाके की मिट्टी गन्ने की खेती के लिए बेहतरीन है। इसलिए नयागढ़ के किसान पारंपरिक तरीके से गन्ने की खेती करते हैं और उससे गुड़ बनाते हैं।

KalingaTV में प्रकाशित खबर के मुताबिक, नयागढ़ चीनी मिल की स्थापना 1988 में किसानों को बढ़ावा देने और लोगों को रोजगार देने के लिए की गई थी। राज्य सहकारिता विभाग द्वारा स्थापित, नयागढ़ के तत्कालीन कांग्रेस विधायक स्वर्गीय बंशीधर साहू ने चीनी मिल का उद्घाटन किया था। उस समय सैकड़ों गन्ना किसानों के चेहरे पर मुस्कान थी। धरणी शुगर द्वारा संचालित इस उद्योग से नयागढ़, फूलबनी और खुर्दा जिलों के गन्ना उत्पादक काफी लाभान्वित हो रहे थे। लेकिन धरणी शुगर के चालू न होने के कारण यह उद्योग 4 साल तक बंद रहा।

मजदूरों और किसानों की मांगों का सम्मान करते हुए राज्य सरकार ने 2004 में उद्योगपति त्रैलोक्यनाथ मिश्रा को उद्योग बेच दिया। 2014 तक सब कुछ ठीक था, लेकिन अचानक चीनी मिल का संचालन बंद हो गया। किसानों और श्रमिकों को भारी नुकसान हुआ। गन्ना किसानों और श्रमिकों की मजदूरी बंद हो गई। नयागढ़ जिले के बालूगांव पंचायत के पानीपोइला में 143 एकड़ जमीन पर नयागढ़ चीनी मिल की स्थापना की गई थी। उद्योग को सालाना 1 लाख 70 हजार मीट्रिक टन गन्ने की जरूरत थी। करीब 12 हजार किसान गन्ना आपूर्ति कर रहे थे। इस मिल में 190 स्थायी और 380 अस्थायी कर्मचारी काम कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे। हालांकि, मिल बंद होने से करीब 13,000 परिवारों को नुकसान उठाना पड़ा।

मिल को फिर से चालू करने के लिए मजदूरों, बुद्धिजीवियों, किसानों ने आवाज उठाई। सभी ने मिलकर नयागढ़ शुगर मिल एक्शन कमेटी का गठन किया। इस कमेटी के बैनर तले आंदोलन तेज हुआ। एक्शन कमेटी ने जिला कलेक्टर, स्थानीय विधायकों और राज्य सरकार से बार-बार गुहार लगाई। एक्शन कमेटी ने नयागढ़ बंद का आह्वान किया। हालांकि, इन सबके बावजूद कोई नतीजा नहीं निकला। प्रशासनिक लापरवाही और रखरखाव के अभाव में नयागढ़ फिर से उद्योग विहीन हो गया।

KalingaTV में प्रकाशित खबर के मुताबिक, इस बीच, राज्य सरकार ने हरी झंडी दे दी थी। नयागढ़ जिला प्रशासन ने मूल्यांकन शुरू किया। जिला प्रशासन ने राज्य सरकार को लिखित रूप से सूचित किया कि 10 करोड़ रुपये निवेश करने पर गन्ना मिल को पुनर्जीवित किया जा सकता है। वर्ष 2009, 2014, 2019 और 2024 के आम चुनावों में हर राजनीतिक दल का मुख्य मुद्दा नयागढ़ चीनी मिल का मुद्दा रहा। वर्ष 2019 के चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के नेताओं, जिला प्रशासन और कार्य समिति के कार्यकर्ताओं की बैठक हुई थी। मिल को फिर से चालू करने का वादा किया गया था। लेकिन चुनाव के बाद वादे पूरे नहीं हुए। पुरी के मौजूदा सांसद डॉ. संबित पात्रा ने दावा किया है कि 100 दिनों के अंदर चीनी मिल चालू हो जाएगी। अन्यथा नई मिल स्थापित की जाएगी। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री करेंगे। हालांकि दूसरी ओर नयागढ़ विधायक अरुण साहू ने कहा कि, मामला न्यायालय में लंबित है। इसलिए इस मिल को जल्द चालू करना संभव नहीं है। नयागढ़ चीनी मिल के प्रबंध निदेशक ने कहा कि मिल को किसानों, श्रमिकों और राजनेताओं के सहयोग से चलाया जाएगा। सांसद चाहेंगे तो मिल फिर से चालू हो जाएगी।

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