भुवनेश्वर: ओडिशा सरकार 2जी एथेनॉल के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। लोक सेवा भवन में मिडवेस्ट एनर्जी कंपनी द्वारा एक प्रस्तुति दी गई, जिसमें कंपनी ने ओडिशा में एथेनॉल प्लांट स्थापित करने और ईंधन के रूप में इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने का प्रस्ताव रखा।कंपनी के प्रतिनिधि प्रभाकर रेड्डी ने चिल्का झील में चलने वाली नावों में एथेनॉल-मिश्रित ईंधन के इस्तेमाल की संभावनाओं पर चर्चा की।
राज्य सरकार की यह पहल केंद्र सरकार के 2030 तक डीजल में 5% एथेनॉल का इस्तेमाल करने के लक्ष्य के अनुरूप है और उपमुख्यमंत्री केवी सिंह देव ने विश्वास जताया कि, ओडिशा इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम करेगा।धान के भूसे जैसे फसल के अवशेषों का इस्तेमाल करके एथेनॉल का उत्पादन किया जाएगा, जिसे अक्सर जला दिया जाता है और जिससे प्रदूषण होता है। कंपनी किसानों से फसल अवशेष खरीदने की योजना बना रही है, जिससे उन्हें आय का एक अतिरिक्त स्रोत मिलेगा। इस पहल से न केवल प्रदूषण कम होगा बल्कि किसानों के लिए अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे, ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और शारीरिक श्रम में कमी आएगी।
इस परियोजना में गन्ना, मक्का और बाजरा सहित विभिन्न फसलों के अवशेषों का उपयोग करके एथेनॉल बनाने की क्षमता है। ओडिशा सरकार इस पहल को बढ़ावा देने के लिए उत्सुक है और प्रस्तुति के दौरान उपमुख्यमंत्री केवी सिंह देव, कानून और निर्माण मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन और उद्योग मंत्री संपदा चंद्र स्वैन सहित वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। कृषि और किसान सशक्तिकरण विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. अरबिंद कुमार पाधी, ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव विशाल देब, पर्यटन आयुक्त और सचिव बलवंत सिंह, ईपीसीएल के एमडी भूपेंद्र सिंह पुनिया भी मौजूद थे।