केंद्रपाड़ा: जिले में गन्ने की खेती में तेजी से गिरावट हो रही हैं। किसानों का कहना है कि, मिलों को बंद करना और गन्ने के लिए सीमित विकल्प इस गिरावट के मुख्य कारण हैं। तीन दशक पहले तक जिले में गन्ना एक प्रमुख नकदी फसल हुआ करती थी। एक दशक पहले 15,000 हेक्टेयर गन्ने की खेती का क्षेत्रफल था, और अब इस वर्ष लगभग 5000 हेक्टेयर तक सिकुड़ गया है। गारदापुर, मंगागहाई, डेरबाशी, पट्टामुंडई, औल, राजकनिका और महाकालपाड़ा ब्लॉक प्रमुख क्षेत्र हैं जहाँ किसान गन्ने की खेती करते हैं।
पेटामुंडई के गन्ना किसान अक्षय बेहरा कहते हैं की, वे दिन गए जब हम चीनी मिलों और खुले बाजार में फसल बेचकर अच्छा पैसा कमाते थे। तीन दशक पहले कृष्णदासपुर गाँव में चीनी मिल को बंद करना उन किसानों के लिए एक बड़ा झटका था, जिन्होंने अब गन्ने से अन्य फसलों की ओर रुख कर लिया है। अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो यह फसल जिले से पूरी तरह से गायब हो जाएगी।
क्रुसाक सभा की जिला इकाई के अध्यक्ष उमेश चंद्र सिंह ने कहा की, गन्ना किसानों को लुभाने के लिए, पिछले चुनाव के दौरान, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और अन्य नेताओं ने जिले में चीनी मिल स्थापित करने का वादा किया था। लेकिन चुनाव के बाद वे अपने वादों को निभाने में असफल रहे।