नई दिल्ली : चीनी मंडी
बकाया भुगतान से परेशान चीनी मिले और एफआरपी के लिए तरस रहे गन्ना किसानों के लिए जल्द ही ‘अच्छे दिन’ का आगाज होने की उम्मीद काफी बढ़ गई है। केंद्र सरकार ने कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम करने के मकसद से इथेनॉल का उत्पादन एवं खपत बढ़ाने के लिए प्रयास जारी किए है। चालू पेराई सीजन में इथेनॉल की अनिवार्य सप्लाई 10 फीसदी में से साढ़े सात फीसदी के करीब होने का अनुमान है। इथेनॉल उत्पादन से चीनी मिलों की वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार होगा, जिससे मिलें किसानों का भुगतान भी समयपर कर सकेंगी। अधिशेष चीनी की समस्या से निपटने के लिए इथेनॉल उत्पादन विकल्प कारगर साबित हो सकता है।
चालू पेराई सीजन 2018-19 के लिए तेल कंपनियां 29 जुलाई 2019 तक 244.7 करोड़ लीटर इथेनॉल खरीद के सौदे कर चुकी हैं जबकि 10 फीसदी अनिवार्य ब्लेंडिंग के लिए 329.3 करोड़ लीटर इथेनॉल की जरूरत होगी। जुलाई अंत तक चीनी मिलों ने तेल कंपनियों को 150.1 करोड़ लीटर इथेनॉल की ही सप्लाई की है।
10 फीसदी अनिवार्य ब्लेंडिंग के इथेनॉल की सप्लाई अगले सीजन में भी पूरी होने की उम्मीद काफ़ी कम है, क्योंकि सूखे के कारण महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने के उत्पादन में कमी आने का अनुमान है।
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