हैदराबाद : वैश्विक कमोडिटी प्रमुख ओलम एग्री महाराष्ट्र के राजगोली (जिला कोल्हापुर) में मल्टी-इनपुट बायो-एथेनॉल इकाई में लगभग $60 मिलियन का निवेश कर रही है। ओलम वर्तमान में राजगोली में 4,000 टन प्रतिदिन की पेराई क्षमता वाली एक चीनी फैक्ट्री संचालित करती है। हैदराबाद में समुन्नति एफपीओ कॉन्क्लेव के दौरान ओलम एग्री के ग्रुप सीएफओ मुथुकुमार नीलमणि ने बिजनेसलाइन को बताया, हम मल्टी-इनपुट क्षमता वाली डिस्टिलरी में करीब 60 मिलियन डॉलर का निवेश कर रहे हैं, जिसका मतलब है कि अगर गन्ने का उत्पादन कम है, तो हम उसे मक्का से बदल सकते है।मुथुकुमार ने कहा कि, ओलम एग्री बायो-एथेनॉल इकाई की स्थापना के साथ अपनी गन्ना पेराई क्षमता को दोगुना करके लगभग 8,500 टन प्रतिदिन कर रही है, जो अगले साल मार्च तक चालू हो जाएगी। सिंगापुर में मुख्यालय वाली, वैश्विक खाद्य, चारा, फाइबर और कृषि-उद्योग कंपनी 30 से अधिक देशों में काम करती है। मुथुकुमार ने कहा,भारत हमारे लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है और हम चावल, कपास, दालों, चीनी और हाल ही में बायो-एथेनॉल का कारोबार करते हैं।
ओलम के ग्रुप सीएफओ ने कहा कि, कंपनी चावल के क्षेत्र में किसान उत्पादक संगठन के साथ अपनी भागीदारी बढ़ा रही है, क्योंकि पिछले साल उसे मध्य प्रदेश के करीब 6,000 किसानों, मुख्य रूप से आदिवासियों के साथ काम करते हुए पायलट पहल में सफलता मिली थी। मुथुकुमार ने कहा कि, इस साल कंपनी ने एफपीओ भागीदारी को तीन गुना बढ़ा दिया है, जिसमें करीब छह एफपीओ करीब 11,000 किसानों तक पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी इसे गन्ना उद्योग और मक्का में भी दोहराना चाहती है। मुथुकुमार ने कहा, हम 2011 से करीब 25,000 गन्ना किसानों के साथ काम कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि, कंपनी ने किसानों को टिकाऊ कृषि पद्धतियों के बारे में शिक्षित करने और पैदावार में सुधार करने के लिए आईएफसी और सॉलिडारिडाड जैसी एजेंसियों के साथ काम किया है।