नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा 7 दिसंबर 2023 को चीनी मिलों को घरेलू चीनी मांग को बनाए रखने के लिए गन्ने के रस/सिरप से सीधे एथेनॉल का उत्पादन नहीं करने का निर्देश दिया गया था, उसके तुरंत बाद तेल विपणन कंपनियों (OMCs) द्वारा चीनी मिलों/डिस्टलरीज को पत्र लिखकर सी हेवी मोलासेस से उत्पादित एथेनॉल का जायजा लिया जा रहा है।
ओएमसी ने चीनी मिलों को लिखे पत्र में कहा है कि, हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए चीनी मिलों से अनुरोध है कि वे ईएसवाई 2023-24 के लिए गन्ने के रस से सी हेवी मोलासेस में फीडस्टॉक की मात्रा बदलने पर काम करे।
सरकार के अधिसूचना को लेकर आशंकाओं को दूर करते हुए, विशेषज्ञों का कहना है कि ओएमसी बी हेवी मोलासेस और सी हेवी मोलासेस दोनों से चीनी मिलों से एथेनॉल की आपूर्ति बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि गन्ने के रस/सिरप से एथेनॉल की आपूर्ति बंद होने के बाद आपूर्ति में होनेवाले संभाव्य अंतर को भरा जा सके। उनका यह भी मानना है कि OMCs चीनी मिलों पर सी हेवी मोलासेस से एथेनॉल आपूर्ति के लिए अपनी प्रतिबद्धता बढ़ाने के लिए दबाव डाल सकती हैं, क्योंकि ऐसी खबरें हैं कि कर्नाटक और महाराष्ट्र में चीनी मिलें एथेनॉल उत्पादन के लिए उपयोग करने के बजाय मोलासेस का निर्यात कर रही हैं।
देश में उत्पादित कुल एथेनॉल में से, गन्ने के रस से 25-30% उत्पादन किया जाता है, जबकि बी भारी मोलासेस से 60-65% से अधिक और कुछ प्रतिशत सी हेवी मोलासेस और अनाज से किया जाता है। वर्तमान ईएसवाई के लिए, OMCs ने अवधि के लिए 15 प्रतिशत मिश्रण लक्ष्य को पूरा करने के लिए सभी स्रोतों से 8.25 बिलियन लीटर एथेनॉल की आपूर्ति के लिए निविदाएं जारी की थीं।
एथेनॉल सलाहकार विजय गिरासे ने ‘चीनीमंडी’ से बात करते हुए कहा, सरकार की मंशा स्पष्ट है, उनका लक्ष्य किसी भी कीमत पर चीनी उत्पादन बढ़ाना है। हम पहले से ही भारत में चीनी उत्पादन में गिरावट का अनुभव कर रहे हैं और महाराष्ट्र और कर्नाटक में सूखे जैसी स्थिति के कारण पानी की उपलब्धता भी एक चुनौती है। चालू पेराई में जनवरी और फरवरी के बाद भी सरकार का लक्ष्य अधिक चीनी उत्पादन का है। चूंकि भारत में अगले साल आम चुनाव होने हैं, इसलिए महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार उपभोक्ता और किसानों दोनों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर सकती है। हमारा सुझाव है कि सरकार को विदेशी बाजार में निर्यात के लिए जा रहे मोलासेस को परिवर्तित करना चाहिए ताकि मिश्रण के लिए अधिक एथेनॉल उपलब्ध हो सके।