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नई दिल्ली : चीनी मंडी
पिछले तीन सालों से रिकॉर्ड चीनी उत्पादन के कारण आर्थिक संकट से घिरे चीनी उद्योग को राहत देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा हर मुमकिन कोशिश की जा रही है, फिर भी निर्यात में गिरावट, कीमतों पर दबाव और गन्ना बकाया भुगतान की समस्या कम नही हुई है। अब केंद्र सरकार चीनी मिलों को राहत देने के लिए बफर स्टॉक को 30 लाख टन से बढ़ाकर 50 लाख टन कर सकती है। इस के लिए खाद्य मंत्रालय ने कैबिनेट नोट जारी किया है, जिस पर अगले सप्ताह होने वाली कैबिनेट की बैठक में मुहर लग सकती है। किसानों के बकाया भुगतान के लिए केंद्र सरकार मिलों को करीब 1,100 करोड़ रुपये की सब्सिडी भी दे सकती है।
2018-19 पेराई सीजन खत्म होने के बाद भी गन्ना किसानों का लगभग 19000 करोड़ रुपये बकाया भुगतान बाकी है। बकाया भुगतन में उत्तर प्रदेश सबसे उपर है, युपी में किसानों का बकाया 11,082 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इसके बाद कर्नाटक की चीनी मिलों पर 1,704 करोड़ रुपये और महाराष्ट्र की चीनी मिलों पर 1,338 करोड़ रुपये का बकाया है। अन्य राज्यों में पंजाब में गन्ना किसानों का राज्य की मिलों पर बकाया 989 करोड़ रुपये, गुजरात और बिहार की चीनी मिलों पर किसानों का बकाया क्रमश: 965 करोड़ रुपये और 923 करोड़ रुपये हैं। बकाया भुगतान में देरी के कारण किसानों में काफी आक्रोश है, राज्य सरकारें भुगतान में विफ़ल रही मिलों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। दूसरी तरफ चीनी मिलें सरकार से मदद के लिए गुहार लगा रही है।