नई दिल्ली : चीनी मंडी
चीनी, पर्यटन और अल्कोहल-पेय इन तीन क्षेत्रों की वृद्धि क्षमता को पुराने कानून और कठोर लाइसेंस मानदंड प्रभावित कर रहे हैं। पहल इंडिया फाउंडेशन द्वारा की गई रिपोर्ट ‘ए इंटीग्रेटेड वैल्यू चेन अप्रोच फॉर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस: ए केस स्टडी ऑफ शुगर, एल्को-बेव एंड टूरिज्म’ ने कहा कि, इन तीनों उद्योगों ने मिलकर 2018 में भारत में लगभग 8 करोड़ लोगों को रोजगार दिया। हालांकि केंद्र सरकार पुराने कानूनों और प्रथाओं को हटाने में सक्रिय रही है, लेकिन राज्य सरकारे कोई भी ठोस कदम उठाती नजर नही आ रही है।
चीनी उद्योग के बारे में, रिपोर्ट में कहा गया है, उद्योग की प्राथमिक समस्याओं में से एक गन्ने का मूल्य निर्धारण है। कृषि लागत और मूल्य आयोग द्वारा रिकवरी दर और अन्य मापदंडों के आधार पर गन्ने का मूल्य, उचित और पारिश्रमिक मूल्य (FRP) के रूप में फिक्स किया जाता है। अध्ययन में कहा गया है, “हालांकि, राज्य सरकार को अपने स्वयं के मूल्य की घोषणा करने की आदत पड़ गई है, जिसे राज्य सलाहित मूल्य (SAP) कहा जाता है।
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