ढाका (बांग्लादेश): बांग्लादेश में सरकार के स्वामित्व वाली पाबना शुगर मिल अपनी स्थापना के बाद से अब तक लाभ नहीं कमा पाई है। यह मिल 90 के दशक के मध्य में शुरू हुई थी। पिछले महीने इसने 575 करोड़ टका के कर्ज के साथ मौजूदा सीजन का उत्पादन शुरू किया।
खबरों के मुताबिक, पिछले एक दशक में पाबना के ईश्वर्डी उपजिला के दशूरिया में स्थित इस मिल के उत्पादन के साथ-साथ क्षेत्र में गन्ने की खेती भी 50 प्रतिशत घट गई। किसानों का कहना है कि उन्होंने मिल से उचित मदद नहीं मिलने, भुगतान में देरी और भ्रष्टाचार के कारण गन्ने की खेती करना कम कर दी। वहीं मिल अधिकारी आरोपों का खंडन करते हुए कहते हैं कि मिल के नुकसान को रोकने के लिए उत्पादों का विविधीकरण करना होगा।
मिल प्रबंधन ने इस साल 82,000 टन गन्ना पेराई की योजना बनाई है और उन्हें रिकवरी दर 8 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, यानी 6,560 टन चीनी उत्पादन का लक्ष्य है। मिल के प्रबंध निदेशक मो. अब्दुस सलीम ने बताया कि मिल को 60 से 65 दिनों तक चलाने का लक्ष्य रखा गया है। मिल की दैनिक पेराई क्षमता 1,500 टन है, यानी 100 दिनों में लगभग 15,000 टन चीनी का उत्पादन किया जा सकता है।
दूसरी ओर, मदद नहीं मिलने और भुगतान में देरी के कारण यहां के किसान अन्य फसलों की खेती करने लगे हैं। वरुइमारी गांव के एक किसान ने बताया कि कुछ साल पहले वे करीब 32 बीघा (लगभग 12 एकड़) ज़मीन पर गन्ने की खेती करते थे। इस साल सिर्फ पांच बीघा पर गन्ने की खेती की। दशूरिया के एक किसान ने कहा कि गन्ने की खेती में 12 से 16 महीने का वक्त लगता है, जबकि इतने समय में तीन फसलें उगाई जा सकती है। उन्होंने भुगतान में देरी होने के साथ ही मिल पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाये। एक दशक पहले आसपास के क्षेत्रों में लगभग 2 लाख टन गन्ने की खेती हुआ करती थी, जो विभिन्न कारणों से अब मात्र 1 लाख टन रह गया है।
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