चीनी मिल के दूषित पानी से धान फसल क्षतिग्रस्त

आजमगढ़: किसान आरोप लगा रहे है की दूषित पानी से उनकी फसल ख़राब हो रही है। सठियांव चीनी मिल के इर्द-गिर्द एक एकड़ में खड़ी धान की फसल चीनी मिल से निकलने वाले आश्विन प्लांट के दूषित पानी से खराब हो गई है। किसानों ने आरोप लगाया की, इसकी शिकायत कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से की लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। और वे दावा करते है की इसका मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है। यह मामला केवल सठियांव चीनी मिल के नजदीक की फसल का नही है, प्रदेश के कई सारी मिलों के खिलाफ भी किसान शिकायतें कर रहे है। कई किसानों ने तो दूषित पानी की वहज से खेती करना ही छोड दिया है। करीब दो बीघा से अधिक धान की फसल दूषित पानी से खराब हो चुकी है।

वही दूसरी ओर राम सजन आश्विन प्लांट इकाई प्रभारी ने किसानों के आरोपों को खारिज किया है और कहा है की चीनी मिल का दूषित पानी किसी के खेत में नहीं जा रहा है।

निजी मिलों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के लिए किया 600 करोड़ रुपये का निवेश

उत्तर प्रदेश में निजी चीनी मिलों द्वारा पिछले प्रदूषण नियंत्रण उपायों के लिए लगभग 600 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। हालांकि, चीनी उद्योग के लिए पर्यावरण के मापदंडों में स्पष्टता की कमी थी, जिसे हल करने की आवश्यकता थी, क्योंकि अब राज्य चीनी मिलें भी अपने उत्पाद पोर्टफोलियो का विस्तार करने के लिए इथेनॉल उत्पादन में प्रवेश कर रही हैं। निजी मिलें संयंत्रों में अधिक निवेश करने के लिए तैयार हैं और यहां तक कि ’यूपीएसएमए’ के तत्वावधान में प्रयोगशाला स्थापित करने और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहयोग से मान्यता प्राप्त और संचालित करने का प्रस्ताव किया है। राज्य का चीनी उद्योग भी बदलते पर्यावरण और प्रदूषण के मानदंडों के अनुरूप सीमेंट और कागज उद्योगों की तर्ज पर अपना परिचालन प्रोटोकॉल तैयार करेगा।

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