इस्लामाबाद: भारत ने पिछले कुछ वर्षो में एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा दिया है और इसका लाभ देश में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। भारत को पेट्रोल में एथेनॉल सम्मिश्रण से विदेशी मुद्रा में हजारों करोड़ की बचत हुई है। जिसके बाद पडोसी देश पाकिस्तान भी भारत के नक्शेकदम पर चल रहा है। अब पाकिस्तान में भी एथनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने की बात हो रही है।
इस्लामाबाद स्थित पाकिस्तान-जर्मन रिन्यूएबल एनर्जी फोरम (PGREF) के ऊर्जा विशेषज्ञ फ़राज़ खान ने कहा की, सस्ती ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करना एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है, जिसका पाकिस्तान दशकों से सामना कर रहा है। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत के रूप में जैव ईंधन, आयातित ईंधन पर देश की निर्भरता को कम करने में मदद कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप देश की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ सकती है।
खान ने कहा, पाकिस्तान फसलों, पौधों, जैव अपशिष्ट और अन्य जैविक स्रोतों से ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है। पाकिस्तान आर्थिक सर्वेक्षण FY2022-23 के अनुसार, पाकिस्तान नवीकरणीय स्रोतों से सबसे कम ऊर्जा पैदा करता है।
फ़राज़ खान ने कहा कि, रुपये का अवमूल्यन, पर्याप्त चालू खाता घाटा और घटते विदेशी मुद्रा भंडार जैसे कुछ कारक देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण संभावित खतरे पैदा कर सकते है। वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, पाकिस्तान में जैव ईंधन उत्पादन के प्राथमिक रूपों में एथेनॉल, बायोडीजल और बायोगैस शामिल है। उनमें से, एथेनॉल देश में अपनी पर्याप्त उत्पादन क्षमता के कारण प्रमुख स्थान रखता है।
एथेनॉल के स्रोत के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, एथेनॉल ऊर्जा फसलों से प्राप्त किया जाता है, जिसमें मक्का, गन्ना, चावल, जौ और मीठी ज्वार के साथ-साथ पुआल, घास और लकड़ी जैसी विभिन्न बायोमास सामग्री प्राथमिक फीडस्टॉक है। फ़राज़ ने कहा, पाकिस्तान के लिए ऊर्जा स्रोत के रूप में जैव ईंधन का उपयोग करने का एक प्रमुख लाभ कार्बन-उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा करने की क्षमता में निहित है।