बांग्लादेश में चीनी मिल के प्रदूषण से लोग परेशान

ढाका: ऐसा आरोप है की बांग्लादेश के राजशाही डिविजन स्थित जॉयपुरहाट चीनी मिल से यहां की तुलसीगंगा नदी और आस-पास के क्षेत्रों में भारी प्रदूषण फैल रहा है, जिससे नदी का पानी काला पड़ गया है तथा निवासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

निवासियों के कहना है की, 1961 में स्थापित इस मिल में वेस्ट ट्रीटमेंट की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां दिसंबर में गन्ना पेराई शुरू होती है जो 50 से 60 दिनों तक चलती है। जहरीले कचरे को बहाने के लिए मिल ने एक नहर बनाई है, लेकिन यह बहुत जल्द भर जाती है तथा इसका जहरीला पानी तुलसीगंगा नदी के अलावा सदर, अक्कलपुर और खेतलाल के कुओं व तालाबों के पानी में मिल जाता है जिसका असर हजारों निवासियों और विद्यार्थियों पर पड़ रहा है।

अक्कलपुर स्थित सोनामुखी हाई स्कूल के हेडमास्टर ने बताया कि इस सीजन में पूरे इलाके का पानी प्रदूषित हो जाता है और असहनीय बदबू हवा में फैली रहती है। क्षेत्र में मच्छरों-मक्खियों का साम्राज्य है तथा कई बीमारियां फैल जाती हैं। छात्रों ने बताया कि तेज बदबू के कारण वे क्लास में ठीक से बैठ भी नहीं पाते। सोनामुखी गांव के लोगों ने बताया कि मिल के प्रदूषण से तुलसीगंगा का पानी काला पड़ गया है, जिससे वे इसका इस्तेमाल घरेलू कामों में नहीं कर पाते। नदी में आए दिन मछलियां व अन्य जीव-जंतु मरे पाए जाते हैं।

यहां के कृषि अधिकारी के अनुसार, तुलसीगंगा के पानी में उच्च स्तर का एसिड और अमोनिया गैस मिले हैं। मिल के कचरे से पर्यावरण बुरी तरह से नष्ट हुआ है तथा नदी का पानी काला हो गया है। वहीं, मिल के प्रबंध निदेशक ने इन आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि मिल में जल्द ही वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की तैयारी चल रही है।

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