लखनऊ: उत्तर प्रदेश में गन्ना भुगतान पर विवाद बढ़ता जा रहा है। एक तरफ गन्ना किसान बकाया भुगतान की मांग कर रहे है तो दूसरी ओर विपक्ष भी सरकार को घेरने में लगा हुआ है। अब यह मामला कोर्ट तक पहुंच गया है।
इंडियन एक्सप्रेस डॉट कॉम में प्रकाशित खबर के मुताबिक, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से नोएडा के एक वकील द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, जनहित याचिका के अनुसार गन्ना किसानों को 12,000 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान का जवाब मांगा है। जनहित याचिका पर मंगलवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने सुनवाई की। अदालत ने राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा और जनहित याचिका को सुनवाई के लिए 4 अगस्त की तारीख़ रखी।
वकील पुनीत कौर ढांडा द्वारा दायर याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया था कि, अधिकारियों को गन्ना किसानों का बकाया / भुगतान जारी करने का निर्देश दिया जाए जो उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों के पास वर्ष 2019-20 और 2020-21 के लिए लंबित हैं। जनहित याचिका में कहा गया है कि वर्तमान में चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 12,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है, और बकाया से ब्याज जोड़ें तो राशि लगभग 15,000 करोड़ रुपये हो जाती है।
राज्य सरकार दावा है की पेराई सीजन 2019-20 का शत प्रतिशत भुगतान हो चूका है और वर्त्तमान पेराई सत्र के बकाया भुगतान चुकाने को लेकर वह कार्यवाही कर रही है।
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