पीयूष गोयल ने बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली की कमियों को दूर करने के लिए सार्व समाधान खोजने में जी-20 सदस्य देशों का समर्थन किया

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल की उपस्थिति में आज मुंबई में पहली जी-20 व्यापार और निवेश कार्य समूह (टीआईडब्लूजी) की बैठक संपन्न हुई। भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई में संपन्न कार्य समूह की इस तीन दिवसीय बैठक में जी-20 सदस्य देशों, आमंत्रित देशों, क्षेत्रीय समूहों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के 100 से अधिक प्रतिनिधि उपस्थित थे। विचार-विमर्श सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में प्रगति करते हुए विशेष रूप से वैश्विक व्यापार और निवेश में तेजी लाने के विषय के समीप रहा।

वैश्विक व्यापार और निवेश से संबंधित प्राथमिकताओं, जिस की दिशा में भारत की अध्यक्षता में आगे बढ़ा जा रहा है, को लेकर 29 और 30 मार्च को बंद कमरे में आयोजित चार तकनीकी सत्रों में चर्चा की गई। 29 मार्च के विचार-विमर्श में व्यापार को विकास और समृद्धि के लिए कार्य करने और लचीली वैश्विक मूल्य श्रृंखला (जीवीसी) की निर्माण की दिशा में आगे बढ़ने पर ध्यान केंद्रित किया गया। 30 मार्च को दो कार्य सत्रों में वैश्विक व्यापार में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के एकीकरण और व्यापार के लिए दक्ष परिवहन एवं आपूर्ति तंत्र के निर्माण को लेकर टीआईडब्लूजी की प्राथमिकताओं पर चर्चा की गई। कार्यक्रम स्थल पर मसाले, बाजरा, चाय और कॉफी पर विषय आधारित अनुभव क्षेत्र स्थापित किए गए और प्रतिनिधियों को भारत की वस्त्र विरासत की एक झलक दिखाने के लिए वस्त्रों पर एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई। जी 20 प्रतिनिधियों के लिए एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन ताज पैलेस में किया गया, जहां भारत के द्वारा शानदार रात्रिभोज भी दिया गया।

अपनी प्रेस वार्ता में श्री गोयल ने भारत की जी20 अध्यक्षता के विषय को रेखांकित किया जिसका उद्देश्य सार्वभौमिक मूल्यों को बढ़ावा देना और मानव पर केंद्रित दृष्टिकोण को अपनाना है। समावेशी, अभिलाषी, निर्णयात्मक और क्रिया-प्रधान आर्थिक विकास के लिए भारत की जी 20 कार्य सूची पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण का स्मरण करते हुए उन्होंने आगे कहा कि भारत ने कठिन भू-राजनीतिक और वैश्विक स्तर पर नाजुक आर्थिक परिस्थितियों के बीच जी20 की अध्यक्षता लेने का फैसला किया, क्योंकि वर्ष 2023 भारत की स्वतंत्रता का 75वां वर्ष है, यह देश के लिए उपयुक्त समय है कि वह अपने प्राचीन ज्ञान को दुनिया के साथ साझा करे ताकि सर्वमान्य हल निकाला जा सके। इस प्राचीन ज्ञान को “एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य” के निर्माण के लिए उन्नत तकनीक के साथ जोड़ा जा सकता है। श्री गोयल ने कहा कि भारत के महान अतीत की शुरुआत से ही देश लोकतंत्र, विविधता और समावेश का पथप्रदर्शक रहा है।

माननीय केंद्रीय मंत्री ने कहा कि समावेशी विकास के लिए ठोस परिणामों को तैयार करने में टीआईडब्लूजी की महत्वपूर्ण भूमिका है जो विकासशील और अविकसित अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार और निवेश को बढ़ावा देता है, न कि सिर्फ जी-20 सदस्य देशों के बीच। उन्होंने सहयोग, सतत विकास और समाधान-उन्मुख सोच द्वारा संचालित एक नई दुनिया की ओर बढ़ने के लिए, विकासशील और कम विकसित देशों (एलडीसी) सहित सभी देशों के द्वारा और सभी देशों के बीच वैश्विक व्यापार के लाभों के समान वितरण का प्रबल पक्षसमर्थन किया।

श्री गोयल ने टीआईडब्लूजी के प्रतिनिधियों से इस वर्ष के जी20 प्रतीक कमल से प्रेरणा लेने का आग्रह किया और कहा कि कमल सबसे धुंधले पानी में भी निष्कलंक खिलने की क्षमता के लिए दुनिया भर में पूजनीय है, और कहा कि साथ में हम इस अस्थिर आर्थिक समय के दौरान समावेशी आर्थिक विकास के लिए समाधान खोज सकते हैं।

टीआईडब्ल्यूजी की बैठक के दूसरे और तीसरे दिन, प्राथमिकता के मुद्दों पर चर्चा करते हुए, जी20 सदस्य देशों ने गैर-शुल्क उपायों की व्यवस्था में पारदर्शिता को एकीकृत करने और दुनिया भर में मानकीकरण निकायों के बीच सहयोग के लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता महसूस की। जी20 के सदस्य देशों ने यह भी गौर किया कि अनुमान की क्षमता का निर्माण करने और स्थिति के अनुसार बदलाव लाने की क्षमता को बढ़ाने के लिए जीवीसी का मानचित्रण आवश्यक है।

सत्रों में, कई सदस्य देशों ने समग्र आर्थिक विकास के लिए मौजूदा मूल्य श्रृंखलाओं के विविधीकरण और विकासशील देशों और एलडीसी की तरफ से व्यवसायिक भागीदारी में तेजी लाने की आवश्यकता को स्वीकार किया। कार्य सत्रों के दौरान एमएसएमई के लिए सूचना और वित्त को आसानी से सुलभ बनाने की आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा की गई। इसके अलावा, कई देशों ने कहा कि डिजिटल व्यापार प्लेटफार्मों के साथ कारगर एकीकरण के लिए एमएसएमई के सामने डिजिटल में प्रवेश से जुड़ी बाधाओं की गंभीरता से समीक्षा की जानी चाहिए।

वाणिज्य विभाग के सचिव, श्री सुनील बर्थवाल ने टिप्पणी की कि सभी चार सत्रों में समृद्ध चर्चा हुईं, और ज्यादातर कार्रवाई और परिणामों की दिशा में रहीं। वस्तुओं और सेवाओं की स्थानीय आपूर्ति बढ़ाने के लिए व्यापार और निवेश महत्वपूर्ण साधन हैं, श्री बर्थवाल ने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत लक्ष्य उन चुनौतियों के प्रति साझा समझ को मजबूत करना है जो वैश्विक व्यापार और निवेश की गति में बाधक हैं, और ऐसे मौजूदा अवसरों का सामूहिक रूप से पता लगाना है जिसके उपयोग से सार्व-समाधान पाया जा सकता है- जो इस वर्ष के आदर्श वाक्य – वसुधैव कुटुम्बकम द्वारा दिष्ट है

(Source: PIB)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here