सरकार ने मार्च, 2019 में “प्रधानमंत्री जी-वन (जैव ईंधन-वातावरण अनुकूल फसल अवशेष निवारण) योजना” को अधिसूचित किया था। यह योजना देश में दूसरी पीढ़ी की एथेनॉल परियोजनाओं की स्थापना के लिए एकीकृत जैव-एथेनॉल परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए है। ये परियोजनाएं लिग्नोसेलूलोसिक बायोमास तथा अन्य नवीकरणीय फीडस्टॉक का उपयोग करने वाली हैं। योजना का कुल वित्तीय परिव्यय वर्ष 2018-19 से 2023-24 की अवधि के लिए 1969.50 करोड़ रुपये है।
पीएम जी-वन योजना के अंतर्गत वाणिज्यिक परियोजनाओं के लिए प्रति परियोजना 150 करोड़ रुपये और प्रदर्शन परियोजनाओं के लिए प्रति परियोजना 15 करोड़ रुपये की अधिकतम वित्तीय सहायता निर्धारित की गई है ताकि व्यावसायिक व्यवहार्यता बढ़ाने के साथ-साथ विकास के लिए अनुसंधान एवं विकास प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहित किया जा सके और 2जी एथेनॉल उत्पादन के क्षेत्र में प्रौद्योगिकियों को अपनाया जा सके।
इस योजना के अंतर्गत पंजाब, हरियाणा, ओडिशा, असम और कर्नाटक में छह वाणिज्यिक दूसरी पीढ़ी (2जी) की जैव-एथेनॉल परियोजनाओं तथा हरियाणा और आंध्र में एक-एक प्रदर्शन 2जी एथेनॉल परियोजनाओं के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को 880 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इनमें से पानीपत (हरियाणा) में वाणिज्यिक परियोजना राष्ट्र को समर्पित की गई है और बठिंडा (पंजाब), बरगढ़ (ओडिशा) और नुमालीगढ़ (असम) में वाणिज्यिक परियोजनाएं निर्माण के अग्रिम चरण में हैं।
पीएम जी-वन योजना के माध्यम से वित्तीय सहायता के अतिरिक्त 2जी एथेनॉल संयंत्रों को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए अन्य कदमों में गैर-मिश्रित ईंधन पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाना; एथेनॉल खरीद समझौते (ईपीए) पर हस्ताक्षर करके निजी हितधारकों को तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा 15 वर्षों के लिए ऑफ टेक आश्वासन; 2जी एथेनॉल उत्पादन के लिए फीडस्टॉक का विविधीकरण; 2जी एथेनॉल के लिए अलग मूल्य, ईबीपी कार्यक्रम के लिए एथेनॉल पर जीएसटी दर घटाकर 5 प्रतिशत करना आदि शामिल हैं।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली ने यह जानकारी आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
(Source: PIB)