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उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सत्र में किसानों पर मिलों पर 10,000 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है। दो करोड़ से ज्यादा लोगों के लिए यही आजीविका का आधार है, इस मुद्दे पर अब राजनीति तेज हो गई है।
लखनऊ: चीनी मंडी
उत्तर प्रदेश की राजकीय गलियारों में ‘गन्ना बकाया’ मुद्दा काफी गरमाया है। विपक्षी दल और किसान संघठन गन्ना बकाया मुद्दा मोदी और योगी सरकार की असफलता मान रहा है। लोकसभा चुनाव में गन्ना बकाया का मुद्दा भाजपा को काफी नुकसान पंहुचा सकती है ऐसी आशंका जताई जा रही है। क्योंकि, पुलवामा और पाकिस्तान से होते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गन्ना बकाया भुगतान पर आकर टिक गई है।
उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सत्र में किसानों पर मिलों पर 10,000 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है। इस मुद्दे पर अब राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर राज्य की योगी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दावा है कि, उनकी सरकार के दौरान किसानों के 57,000 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान किया गया है। योगी का कहना है कि उनकी सरकार गन्ना किसानों के बकाये के भुगतान को लेकर प्रतिबद्घ है और विपक्षी दल किसानों को बरगला रहे हैं। गौरतलब है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह प्रमुख चुनावी मुद्दा बनकर उभरा है। प्रदेश के किसान नेता वीएम सिंह ने तो इस मुद्दे पर किसानों से नोटा दबाने की अपील जारी की है।
दो दशक से गन्ना किसानों की लड़ाई लड़ रहे सिंह ने बताया कि प्रदेश में 35 लाख किसान मिलों को और 20 लाख क्रेशर को गन्ना बेचते हैं। लेकिन सभी किसान परेशान हैं। दो करोड़ से ज्यादा लोगों के लिए यही आजीविका का आधार है। विपक्ष भी उनकी सुध नहीं ले रहा है। किसानों से कहा जा रहा है कि गन्ना बकाया तो चार महीने बाद भी मिल जाएगा, पहले पाकिस्तान से तो निपट लें। उन्होंने कहा कि किसानों के बीच नोटा दबाने की मुहिम शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश में प्रथम चरण में कैराना सहित चार सीटों पर होने वाले मतदान के लिए नामांकन का सोमवार को अंतिम दिन था। गौरतलब है कि डेढ़ साल कैराना लोक सभा सीट के लिए हुए उपचुनावों में भी गन्ना किसानों का बकाया प्रमुख मुद्दा था और भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था।
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