आंतरराष्ट्रीय बाज़ार में चिनी के लगातार गिरते दाम और देश में अतरिक्त उत्पादन के वजह से घरेलु चिनी उद्योग संकट से घिरा हुवा हे | इसका राजनैतिक तौर पर हानी होनेसे केंद्र सरकार आखीर कार चिनी चिनी उद्योग को सवारने के लिए सकरात्मक पहल करते हुवे रु.७००० करोड का पॅकेज घोषित किया है | इससे किसानों को कुछ हद तक राहत मिल सकती है |
चिनी निर्यात में मुश्किले और किसानों कि बकाया फआरपी इस संकट से चिनी उद्योग जुज रहा है | अकेले महाराष्ट्र में किसानों कि रु. १७०० करोड कि राशी अदा करना बाकि है | इस पॅकेज से यह राशि अदा करने में मदत होगी | ३० लाख टन बफर स्टॉक के निर्माण से चिनी के दाम स्थिर हो सकते है|सरकार ने इथेनॉल उत्पादन के लिए पहलीबार प्रोस्ताहन दिया है | महाराष्ट्र के चिनी लॉबी का दबाव राज्य और राष्ट्रीय चिनी संघटन, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शरद पवार जी के प्रयास से आखिर चिनी उद्योग और किसानों को राहत मिली है |
सरकार के इस फैसले के बाद ,चीनी का न्यूनतम भाव भलेही तय किया हो,लेकिन दक्षिण महाराष्ट्र की चीनी मिलोंके रु२९/किलोग्राम, रु/३१ किलोग्राम + GST का भाव मिल रहा हैं.
मरली शुगर मिल ने बेचीं S2 रु३१०० और S1 ३१५०+ GST |