नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के दूसरे कार्यकाल में कोयला मंत्री रहे प्रल्हाद जोशी अब नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) और उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय (MoCAFP) का नेतृत्व करेंगे। नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल से ही यह उनका मुख्य फोकस रहा है। जोशी अब पांचवीं बार संसद के सदस्य हैं। पिछले सरकार में जोशी संसदीय मामलों के मंत्री भी थे। खास बात यह है की, जोशी को सभी दलों के सांसद एक भरोसेमंद सहयोगी मानते हैं और इससे उन्हें राज्यों में कोयला सुधारों को आगे बढ़ाने और रेलवे और शिपिंग जैसे विभिन्न विभागों से समर्थन प्राप्त करने में मदद मिली है।
मोदी सरकार अपनी प्रमुख पीएम सूर्यघर योजना के माध्यम से हरित ऊर्जा में कोयला सुधारों की सफलता को दोहराने की योजना बना रही है। इस योजना का उद्देश्य पूरे भारत में 10 मिलियन घरों की छतों को सौर ऊर्जा से रोशन करना है। देश इस दशक के अंत तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता विकास का लक्ष्य लेकर चल रहा है। इसके लिए केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय की आवश्यकता होगी, ऐसा माना जाता है कि जोशी इस काम में माहिर हैं। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में भी जोशी की तरह ही खाद्य वितरण से संबंधित योजनाओं पर राज्यों के साथ संवाद स्थापित करने की आदत काम आएगी।
पांच साल तक मुफ्त खाद्यान्न योजना और विशेष रूप से दालों और तिलहनों में उच्च खाद्य मुद्रास्फीति के कारण खाद्य सब्सिडी और कीमतों का प्रबंधन करना एक बड़ी चुनौती हो सकती है। इसे नियंत्रित करने के लिए, केंद्र सरकार ने चावल के निर्यात पर अंकुश लगाने और कम से कम मार्च 2025 तक दालों और तिलहनों के मुफ्त आयात की अनुमति देने सहित उपायों की घोषणा की है। इसके अतिरिक्त, प्याज और कुछ तिलहनों के तेल रहित केक के निर्यात को रोक दिया गया है। जोशी के अधीन खाद्य वितरण विभाग को इनमें से कुछ निर्णयों पर तुरंत पुनर्विचार करने की आवश्यकता होगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले।