नयी दिल्ली, 24 मई: भारत मौसम विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉ केके सिंह के अनुसार मानसून की बारिश औसत से कम होने की संभावनों के संभावित असर पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कम बारिश से गन्ना जैसी फसलों को आने वाले दिनों में नुकसान हो सकता है। सिंह ने कहा कि गन्ना ऐसी फसल है जिसे मानसून पूर्व की बारिश फसल वृद्दि में काफी मदगार साबित होती है। डॉ. केके सिेह ने कहा कि मध्य भारत में खेती में मानसून की बारिश फसलों के लिए जीवनदायिनी का काम करती है वहीं मध्य पश्चिमी क्षेत्र, पूर्वोत्तर भारत और पश्चिमी घाट के हिस्सों की फसलों के लिए मॉनसून पूर्व बारिश रोपण फसलों के लिए वृद्दिकारक होती है।
डॉ. सिहं के अनुसार मानसून पूर्वानुमानों के बारें में जो आंकडे मौसम विभाग ने जारी किए है उनमें मार्च से मई महीने के दौरान होने वाले प्री-मॉनसून बारिश में 22 फीसदी की गिरावट दिखाई गयी है इसें कहीं न कहीं गन्ना, कपास, बागवानी जैसी फसलों और चाय, कॉफी व रबर जैसी प्लांटेशन क्रॉप को नुकसान हो सकता है। सिंह ने कहा कि कम बारिश के कारण आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश और आसपास के इलाकों में गन्ने की फसल को सिंचाई के लिए पानी की अगर कमी का सामना करना पडे़ या मानसून पूर्व या सत्र के दौरान बारिश का पानी कम मिले तो गन्ने के स्वाद और चीनी की गुणवत्ता में भी आंशिक कमी रहने की संभावना है।