शिमला, हिमाचल प्रदेश: गन्ना और अनाज के बाद आलू से भी एथेनॉल का उत्पादन किया जायेगा। अमर उजाला में प्रकाशित खबर के मुताबिक, आलू से बायो एथेनॉल बनाने के लिए केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (CPRI) शिमला आलू की नई किस्में विकसित करेगा। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल के सुझाव पर यह फैसला लिया गया है। CPRI के वैज्ञानिक आलू से एथेनॉल बनाने का सफल प्रयोग कर चुके हैं। सरकार ने 2025 तक E20 मिश्रण का लक्ष्य रखा है, और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे है। इसलिए अब गन्ना और अनाज के साथ साथ आलू उत्पादक किसानों को भी बड़ा लाभ मिल सकता है।
CPRI के फसल दैहिकी जैव रसायन एवं फसलोत्तर तकनीकी विभाग के अध्यक्ष डॉ.दिनेश कुमार और उनके सहयोगी डॉ.धर्मेंद्र कुमार ने बायो एथेनॉल बनाने में सक्षम आलू की किस्मों को चिह्नित कर बायो एथेनॉल तैयार किया है। अब संस्थान आलू की नई किस्में विकसित करेगा। CPRI जब तक नई किस्में विकसित नहीं करता, तब तक खराब आलू से एथेनॉल बनाया जाएगा। देश में होने वाले कुल उत्पादन का करीब 15 फीसदी आलू विभिन्न कारणों से खराब हो जाता है। खराब और अतिरिक्त आलू का एथेनॉल उत्पादन के लिए इस्तेमाल होगा। CPRI के निदेशक डॉ. ब्रजेश सिंह आलू से एथेनॉल बनाने को लेकर संस्थान में किए गए परीक्षण सफल रहे हैं। खराब होने वाली आलू की 15 फीसदी फसल एथेनॉल बनाने में इस्तेमाल हो जाएगी। CPRI अब इसके लिए सहायक आलू की नई किस्में विकसित करेगा।
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