कोलंबो : श्रीलंका के उद्योग मंत्री सुनील हंडुनेथी ने मक्का से बने एथेनॉल पर न्यूनतम मूल्य निर्धारित करने का आह्वान किया है, ताकि कीमतों में वृद्धि हो और राज्य के उद्यमों को बिना बिके एथेनॉल के स्टॉक से छुटकारा पाने में मदद मिल सके। मंत्री हंडुनेथी ने लंका शुगर के निरीक्षण दौरे पर जाने के बाद संवाददाताओं से कहा कि, सरकारी कंपनी लंका शुगर में गन्ने से एथेनॉल बनाने की लागत लगभग 800 से 1000 रुपये प्रति लीटर है, जिसे राजपक्षे शासन के दौरान निजी नागरिकों से जब्त कर लिया गया था। लेकिन पार्टियां मक्के से लगभग 173 रुपये प्रति लीटर की दर से एथेनॉल बना रही है।
उन्होंने कहा, जब वे तीसरी श्रेणी का मक्का खरीदते हैं तो वे 173 रुपये प्रति लीटर में एथेनॉल बना सकते हैं। केवल मक्के से ही एथेनॉल बनाया जा सकता है। इसलिए हमने सरकार के संबंधित वर्गों को सुझाव दिया है कि वे मक्के से एथेनॉल बनाने वालों के लिए न्यूनतम मूल्य (फ्लोर प्राइस) निर्धारित करें। लंका शुगर को दो निजीकृत कंपनियों के साथ मिलकर बनाया गया था, जिसके बाद राजपक्षे शासन ने एथेनॉल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे कर घाटा, तस्करी और मक्के से एथेनॉल जैसे अन्य नवाचार शुरू हो गए। मक्का भी आयात नियंत्रण और लाइसेंसिंग के अधीन है, जिसके कारण दुनिया की तुलना में इसकी कीमतें अधिक हैं और लाइसेंस जारी करने में देरी के कारण अक्सर इसकी कमी होती है। आलोचकों ने बताया है कि, मक्के पर आयात नियंत्रण विशेष रूप से गरीब परिवारों के बच्चों के लिए अत्यधिक उच्च प्रोटीन कीमतों में योगदान दे रहा है।