उत्तर प्रदेश की निजी चीनी मिलें आर्थिक संकट से जूझ रही है

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में गन्ना भुगतान अभी भी बकाया है और चीनी मिलें आर्थिक संकट के कारण भुगतान करने में विफल रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी निर्यात, चीनी बफर स्टॉक सब्सिडी और यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) को बेची गई बिजली की का लगभग 3,500 करोड़ रुपये का भुगतान बाकी है जिससे निजी मिलें आर्थिक संकट का सामना कर रही है। यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) के सदस्यों के अनुसार, पिछले दो वर्षों से यह बकाया है। वर्तमान में, राज्य में 119 कार्यात्मक चीनी मिलें हैं, जिनमें से 92 निजी, 24 सहकारी और तीन मिलें राज्य सरकार के स्वामित्व में हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार ‘यूपीएसएमए’ के महासचिव दीपक गुप्तारा ने कहा की हम नियमित रूप से केंद्र और राज्य सरकारों से हमारे बकाया के भुगतान में तेजी लाने का आग्रह कर रहे हैं, लेकिन अब तक कुछ हुआ नहीं। बंदरगाहों से राज्य की दूरी के बावजूद, यूपी की चीनी मिलों ने केंद्र के निर्यात लक्ष्यों की प्राप्ति में योगदान दिया।

यूपी गन्ना और चीनी उद्योग के प्रमुख सचिव संजय आर भूसरेड्डी ने कहा कि, सरकार इस मामले में सबसे अच्छा संभव कदम उठा रही है और गन्ना किसानों और साथ ही मिल मालिकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि, कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप ने इस साल देश में आर्थिक गतिरोध निर्माण किया हैं, लेकिन मिलों के बकाया का मुद्दा जल्द ही निपटाया जाएगा।

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