केन्या में चीनी मिलों का होगा निजीकरण
नैरोबी (केन्या): केन्या में चीनी उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए देश की चीनी मिलों का निजीकरण करने के साथ ही चीनी पर अतिरिक्त कर भी लगाया जाएगा। इसका भार चीनी उपभोक्ताओं पर डाला जाएगा। यह जानकारी राष्ट्रपति कार्यालय से सोमवार को जारी की गई।
इंडस्ट्री के विशेषज्ञ बताते हैं कि जर्जर मशीनों, उत्पादन की ऊंची लागत और सरकार से पर्याप्त आर्थिक मदद नहीं मिलने के कारण इस पूर्वी अफ्रीकी देश में चीनी उद्योग संकटों से घिरा हुआ है। राष्ट्रपति कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि सरकार ने चीनी सेक्टर को पुनर्जीवित करने के लिए गठित टास्क फोर्स की सभी सिफारिशों को मानने का फैसला किया है। टास्क फोर्स ने चीनी पर अतिरिक्त कर लगाने की सिफारिश भी की है, जो उपभोक्ताओं से वसूल किया जाएगा। इससे होने वाली आय से गन्ना किसानों की माली हालत सुधारने की बात कही गई है। टास्क फोर्स ने चीनी आयात नियमों में बदलाव की सिफारिश भी की है, हालांकि इस बारे में ज्यादा खुलासा बयान में नहीं किया गया है।
बता दें कि केन्या सरकार ने 2015 में भी देश की चीनी मिलों का निजीकरण करने का प्रयास किया था जिसके तहत पांच सरकारी चीनी मिलों के शेयर बेचने की घोषणा की गई थी। इनमें से दो फिलहाल रिसीवरशिप में हैं। इस सरकारी घोषणा को अदालत में चुनौती दी गई, जिसके बाद कोर्ट ने सरकार के इस फैसले को निरस्त कर दिया। तब सरकार के निजीकरण आयोग ने क्षेत्रीय सरकारों सहित अन्य पक्षों को भी इसमें शामिल करते हुए निजीकरण की प्रक्रिया को फिर से शुरू किया। 2015 में देश की चीनी मिलों का निजीकरण करने के विफल प्रयास के बाद ही केन्या सरकार ने 2017 में टास्क फोर्स का गठन किया जिसने सोमवार को राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
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