मुंबई: देश में चीनी अधिशेष की समस्या बनी हुई है और इससे निजात पाने के लिए सरकार चीनी मिलों को इथेनॉल उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करने को बोल रही है। इससे देश में तेल आयात भी कम होगा और साथ ही गन्ना बकाया चुकाने में भी मदद मिलेगी।
इस सीजन में बड़े पैमाने पर चीनी उत्पादन के चलते चीनी उद्योग चाहता है कि, सरकार बी हैवी मोलासेस में चीनी के मिश्रण से उत्पादित इथेनॉल को ₹62.65 प्रति लीटर की दर से खरीद ले। केंद्रीय परिवहन और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में केंद्र सरकार को प्रस्ताव प्रस्तुत किया है और महाराष्ट्र सरकार से इसी तरह की मांग के साथ केंद्र सरकार से संपर्क करने को कहा है। उन्होंने कहा कि, महाराष्ट्र में चीनी का बहुत बड़ा भंडार है। मैंने हाल ही में एक प्रस्ताव जमा किया है और महाराष्ट्र सरकार को भी केंद्र सरकार के साथ इस पर विचार विमर्श करने को कहा है।
वह उस्मानाबाद जिले में स्थित धाराशिव चीनी मिल द्वारा शुरू किए गए मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट के उद्घाटन के लिए आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि, बी हैवी मोलासेस में करीब 15-20 फीसदी चीनी मिलाकर इथेनॉल बनाया जा सकता है। गन्ने के रस का उपयोग करके उत्पादित इथेनॉल की दर लगभग ₹ 60 प्रति लीटर है। गडकरी ने कहा, अगर पेट्रोलियम मंत्रालय बी हैवी मोलासेस में चीनी मिलाकर उत्पादित इथेनॉल को समान दर देता है, तो महाराष्ट्र में लगभग 25 लाख टन चीनी का उपयोग इस उद्देश्य के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा, इस मामले में चीनी मिलों को चीनी के लिए 36 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मिलेगी और मिलों को गोदामों में चीनी जमा करने के लिए भारी शुल्क नहीं देना होगा।