पुणे : चीनी मंडी
पूर्व कुलगूरू और गन्ना वैज्ञानिक डॉ. ज्ञानदेव हापसे ने कहा कि, हमने देश और किसानों कि जरूरतों को ध्यान में देखते हुए पहले प्रति एकड 100 टन गन्ना उत्पादन कि पहल शुरू कि थी। इसमें हम कामयाब भी हुए, लेकिन अब इसके आगे पानी कि गंभीर समस्या के कारण गन्ने को पानी मिलना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए अब हमें एक एकड में लगभग 250 टन गन्ना उत्पादन करने कि क्षमता हासिल करनी होगी, अन्यथा चीनी उद्योग का भविष्य अंधरे मे है।
‘गन्ना फसल उत्पादकता में सुधार और गुणवत्ता रोपण’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में डॉ. हापसे मार्गदर्शन कर रहे थे। संजीवनी चीनी मिल के अध्यक्ष बिपीन कोल्हे, महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज फेडरेशन के प्रबंध निदेशक संजय खताल, ‘विस्मा’ के कार्यकारी संचालक अजित चौगुले, वैज्ञानिक डॉ. विनायक बावस्कर, धर्मेंद्र सिंग, बसंतकुमार बचपण, आशिष लेले आदि उपस्थित थे।
डॉ. हापसे ने कहा कि, गन्ना उत्पादक किसान काफी मुश्किल में है, उनको लागत कि तुलना में लाभ नही मिलता है। किसान जब एक रूपया खर्च करते है, तब उनको 30 पैसे मिलते है, लेकिन उनको छह रूपये मिलने चाहिए। उनको सिंचाई, उर्वरक और खाद कि बिधी को बदलना होगा। चीनी उद्योग ने राज्य में एक बार स्वर्णिम काल देखा था, अब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। उन्होंने कहा कि, उत्तर प्रदेश का चीनी उद्योग महाराष्ट्र को पछाडकर आगे निकल गया है।
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