पुडुचेरी : डीएमके ने भारत सरकार से केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी की कई लंबित मांगों को पूरा करने का आग्रह किया है, जिसमें सर्वसम्मति से व्यक्त की गई राज्य का दर्जा देने की मांग भी शामिल है। पार्टी संयोजक और विपक्षी नेता आर. शिवा के नेतृत्व में डीएमके प्रतिनिधिमंडल ने गृह सचिव गोविंद मोहन से मुलाकात की और ज्ञापन सौंपा, जिसमें शिक्षा, खेल, पर्यटन, उद्योग और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करने के लिए राज्य के दर्जे के महत्व पर प्रकाश डाला गया। ज्ञापन में पुडुचेरी को केंद्रीय वित्त आयोग में शामिल करने और केंद्र शासित प्रदेश के लिए एक अलग लोक सेवा आयोग की स्थापना की भी मांग की गई। डीएमके ने एंग्लो-फ्रेंच टेक्सटाइल्स, स्वदेशी और भारती कॉटन मिल्स और लिंगारेड्डीपलायम में सहकारी चीनी मिल जैसी बंद हो चुके को उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिए विशेष कार्यक्रमों की मांग की है।
ज्ञापन में कहा गया कि, बिजली बोर्ड के निजीकरण की नहीं, बल्कि पुनरुद्धार की आवश्यकता है। पुडुचेरी के लिए पूंजीगत बुनियादी ढांचे के लिए ₹15,000 करोड़ के एकमुश्त प्रावधान के अलावा, जो इसके आर्थिक विकास को काफी बढ़ावा देगा। डीएमके ने राजस्व घाटे की भरपाई के लिए 50 साल की पुनर्भुगतान अनुसूची के साथ ऋण पुनर्गठन योजना की भी मांग की, क्योंकि वार्षिक केंद्रीय अनुदान में आनुपातिक रूप से वृद्धि नहीं की गई है। अन्य मांगों में कराईकल बंदरगाह के संचालन में पारदर्शिता, जिपमेर में ग्रुप-सी पदों पर स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण, पांडिचेरी विश्वविद्यालय के सभी पाठ्यक्रमों में स्थानीय छात्रों के लिए 25% आरक्षण शामिल था।