पुणे: चीनी मिलों का पेराई सत्र खत्म हुए लगभग दो से ढाई माह हो गए हैं, लेकिन जिले की 11 चीनी मिलों पर अभी भी 189 करोड़ 85 लाख 93 हजार रुपये की बकाया है। इस सीजन में जिले की 17 चीनी मिलों ने पेराई में हिस्सा लिया था, और लगभग 1 करोड़ 26 लाख 68 हजार 783 टन गन्ने की पेराई की थी। औसत 9.99 चीनी रिकवरी के साथ मिलों ने 1 करोड़ 26 लाख 49 हजार 870 क्विंटल चीनी का उत्पादन किया।
इन सभी चीनी मिलों द्वारा कुल 4 हजार 319 करोड़ 47 लाख 95 रुपये भुगतान करना था।जिसमें से चीनी मिलों ने अब तक किसानों को एफआरपी के रूप में 4 हजार 129 करोड़ 62 लाख 2 हजार रुपये का भुगतान किया है। हालांकि, बाकी रकम अभी भी कई मिलों पर बकाया है।किसान और किसान संगठन यह मांग करने लगे हैं कि इस बकाया का भुगतान जल्द से जल्द किया जाए।गन्ना नियंत्रण आदेश के अनुसार, गन्ना आपूर्तिकर्ताओं को पेराई के चौदह दिनों के भीतर एफआरपी भुगतान करना आवश्यक है, लेकिन मिलों ने अभी तक शत प्रतिशत भुगतान नहीं किया है।
चीनी आयुक्त डॉ. चंद्रकांत पुलकुंडवार ने बकाया भुगतान में नाकाम मिलों के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1995 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई शुरू की है। रयत क्रांति संगठन के प्रदेश अध्यक्ष भानुदास शिंदे ने अग्रोवन से बात करते हुए कहा कि, पुणे जिले की 17 चीनी मिलों में से 11 चीनी मिलों ने चीनी सीजन खत्म होने के बाद भी अभी तक शत प्रतिशत एफआरपी का भुगतान नहीं किया है। रयत क्रांति पार्टी की ओर से चीनी आयुक्त डॉ. चंद्रकांत पुलकुंडवार को 19 जून को ज्ञापन दिया गया है।