चंडीगढ़ : गन्ना सीजन अब शुरू नही हुआ है की, अभी से गन्ना आवंटन को लेकर पंजाब में राजनीती गरमाने लगी है। गन्ना आवंटन को लेकर कैबिनेट की बैठक में मंत्रियों में ही आरोप-प्रत्यारोप की खबर से प्रदेश में खलबली मच गई है। पंजाब के सहकारिता विभाग द्वारा संचालित सहकारी चीनी मिलों को गन्ने की आपूर्ति करने वाले क्षेत्र में कमी और भोगपुर और गुरदासपुर चीनी मिलों के अधिशेष गन्ने को निजी चीनी मिलों को आवंटित करने के मुद्दे ने गुरुवार को कैबिनेट की नींद उड़ा दी। ग्रामीण विकास मंत्री त्रिपत राजिंदर सिंह बाजवा और सहकारिता मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने इस मामले को उठाया और शिकायत की कि, गन्ना आयुक्त ने 17 दिसंबर को अपने नए आदेशों में, आगामी सत्र में क्रशिंग के लिए अधिकांश अधिशेष गन्ना निजी मिलों को आवंटित किया था।
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने वित्तीय आयुक्त विकास, विश्वजीत खन्ना को इस मामले को देखने का निर्देश दिया है। रंधावा को आपत्ति है कि, सरकार द्वारा चलाई जा रही सहकारी मिलों को उतना गन्ना नहीं दिया गया जितना पिछले साल आवंटित किया गया था। उन्होंने कहा, इस परिस्थिती में, सहकारी चीनी मिलें घाटे में चलेंगी और उन्हें अपने विभाग के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा। जिन निजी मिलों को अतिरिक्त गन्ना दिया गया है, उनमें अमृतसर में राणा शुगर मिल शामिल है, जो पूर्व मंत्री राणा गुरजीत सिंह से जुड़ी हुई है। खबरो के मुताबिक, अकेले राणा शुगर मिल को ही 12.22 लाख टन गन्ना अलॉट किया गया है। चरणजीत सिंह चन्नी और बलबीर सिंह सिद्धू सहित दो और मंत्रियों ने बाजवा और रंधावा का समर्थन किया और कहा कि, सहकारी चीनी मिलों को मुनाफा कमाने की अनुमति दी जानी चाहिए।
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