चंडीगढ़ : पंजाब में बांधों के गेट खोले जाने से गन्ने के खेतों में पानी भर जाने से गन्ना उत्पादन प्रभावित होने की संभावना है। पोंग और भाखड़ा दोनों बांधों से छोड़ा गया हजारों क्यूसेक पानी गुरदासपुर, होशियारपुर, कपूरथला, रोपड़ और संगरूर के खेतों में बह गया, जिससे लगभग 130 गांवों में खड़ी फसलें प्रभावित हुई है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि, फसलों को कितना नुकसान हुआ है, इसका पता दो या तीन दिन बाद ही लगाया जा सकेगा।
कृषि निदेशक, गुरविंदर सिंह ने कहा, अगर पानी एक-दो दिन में निकल जाए तो कम नुकसान होगा। लेकिन अगर फसलें ज्यादा दिन जलमग्न रहती है, तो उन्हें बड़ा नुकसान होगा, खासकर बासमती और गन्ना, जो इस बेल्ट में उगाए जाते है। उन्होंने कहा कि, एक बार जब पानी कम होना शुरू हो जाएगा, तो फील्ड कर्मचारी फसल के नुकसान का आकलन करना शुरू कर देंगे। गुरदासपुर के 52 गांव, कपूरथला के 36, रोपड़ के 22, संगरूर के 13 और होशियारपुर के सात गांव प्रभावित हुए हैं।
इस साल गन्ने का रकबा 1.20 लाख हेक्टेयर है, जो लगभग पिछले साल के बराबर है। गन्ना निजी व्यापारियों और चीनी मिलों द्वारा खरीदा जाता है। गन्ना उत्पादकों को राज्य द्वारा सलाहित मूल्य मिलता है। इन फसलों के तहत बढ़ता क्षेत्र कृषि विविधीकरण की दिशा में AAP के प्रयास का हिस्सा है। हालांकि, यदि फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, तो इसका सीधा असर फसल विविधीकरण कार्यक्रम पर पड़ता है क्योंकि किसान “सुरक्षित लेकिन पानी की अधिक खपत वाले” गैर-बासमती धान की ओर रुख करेंगे।