गुरदासपुर : चीनी मंडी
2017-18 सत्र के लिए अगर राज्य सरकार किसानों को 55 रुपये प्रति क्विंटल के मुआवजे की घोषणा करके अपना बोझ कम नहीं करती है , तो राज्य में सभी सात निजी चीनी मिलें जब नवंबर में गन्ना क्रशिंग सीजन शुरू होगा, तब उनका कारोबार बंद कर देंगे। पंजाब की निजी चीनी मिलों के मालिकों ने एक प्रस्ताव पारित कर सरकार को अल्टीमेटम दिया है।
वरिष्ठ अधिकारियों ने दावा किया कि, गन्ना बकाया लेकर किसानों के बीच अशांति की संभावना से सरकार को झटका लगना सुनिश्चित है। पंजाब शुगर मिल मालिक एसोसिएशन की एक बैठक इस सप्ताह की शुरुआत में नई दिल्ली में हुई थी, जहां यह निर्णय लिया गया । बैठक में एसोसिएशन के अध्यक्ष जर्नल सिंह वाहिद, जसदीप कौर चढा, कमल ओसवाल, राणा इंदर प्रताप सिंह, कुणाल यादव और राजू चढा उपस्थित थे।
पंजाब शुगर मिल मालिकों एसोसिएशन के अध्यक्ष जर्नेल सिंह वाहिद ने कहा, हम सरकार से भविष्य में 310 रुपये प्रति क्विंटल के राज्य सलाहकृत मूल्य (एसएपी) का अनुरोध करते हैं। हम 2018-19 सीजन से 275 रुपये प्रति क्विंटल के केंद्र सरकार के निष्पक्ष और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में किसानों को भुगतान करना चाहते हैं। सरकार को एसएपी और एफआरपी के बीच अंतर का भुगतान करके हमें इसका समर्थन करना चाहिए।
उन्होंने दावा किया कि, यूपी सरकार ने पिछले कुछ महीनों में, मिल मालिकों का आर्थीक दबाव कम करने के लिए 5000 करोड़ रुपये के मुआवजे का भुगतान किया था। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन ने पहले से ही किसानों को बताया था कि, इस सीजन में गन्ना उत्पादन न बढाए क्योंकि मिलें इस साल क्रशींग नही करेगी।
कीर्ति किसान संघ की पंजाब इकाई के उपाध्यक्ष सतबीर सिंह ने कहा की, गन्ने उत्पादन आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है। गन्ना भुगतान मेंअक्सर देरी हो जाती है और अब मिलें हमारे उत्पादन को लेने के लिए तैयार नहीं हैं। अगर चीनी मिलें हमारे गन्ना नहीं ले जाएंगे, तो हमें धान-गेहूं चक्र में वापस जाना होगा।
इस बीच, गन्ना कमिश्नर के कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा की, चीनी बोर्ड की बैठक के दौरान मुआवजे का मुद्दा तय किया जाएगा। इसमें सरकार, किसानों और निजी मिलों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। उस बैठक में सब कुछ पर चर्चा की जा सकती है।