बांसवाड़ा : बांसवाड़ा को बायोफ्यूल हब बनाने के लिए कृषि अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिकों की ओर से नई पहल शुरू कर दी है। जिले में इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को इसकी खेती आधुनिक तरीके से करने के लिए प्रेरित करेंगे। इसके लिए उनको खेती के तरीके बताएं जाएंगे, यहां की मिट्टी की तासीर के अनुसार हाईब्रीड बीज उपलब्ध कराएंगे।
खासकर एथेनॉल इंडस्ट्री को इससे बड़ा बूस्ट मिलेगा। मक्का की खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। मक्का की फसल से कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। सरकार डीजल और पेट्रोल की लगातार बढ़ती कीमतों व उससे होने वाले प्रदूषण का विकल्प के तौर बायोफ्यूल की ओर बढ़ रही है। एथेनॉल का उत्पादन मक्का से अच्छी मात्रा में होता है।
भास्कर में प्रकाशित खबर के अनुसार, एथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए इसके कच्चा माल मक्का की खेती को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। इसलिए केंद्र सरकार एथेनॉल इंडस्ट्रियों को बढ़ावा देने के साथ ही मक्का उत्पादन को भी बढ़ाने के लिए परियोजना शुरू की है। एथेनॉल कंपनियां स्थानीय किसानों से मक्के को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदेंगी। केंद्र सरकार मक्का उत्पादन बढ़ाने के लिए चला रही परियोजना: भारत सरकार के कृषि और कल्याण मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित जलग्रहण क्षेत्रों में मक्का उत्पादन में वृद्धि परियेाजना चलाई जा रही है। परियोजना का मुख्य उद्देश्य एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मक्का की पैदावार को बढ़ाना है। इसमें राजस्थान के जलग्रहण क्षेत्र बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद और प्रतापगढ़ को चुना है। इन जिलों में किसानों को ट्रेनिंग देकर मक्का के उन्नत किस्मों के बीज बांटे हैं। बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ में करीब 20 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है। यहां किसानों को मक्के की डीकेसी 9144 किस्म को बांटा गया है। साथ ही कृषि अनुसंधान केंद्र की ओर से किसानों को मक्का की खेती के लिए जागरूक भी किया जा रहा है।