RBI ने सोमवार को निजी क्षेत्र के बैंकों के निदेशकों के लिए मुंबई में एक सम्मेलन आयोजित किया गया था।
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने ‘बैंकों में शासन – सतत विकास और स्थिरता’ विषय पर आधारित सम्मेलन का उद्घाटन किया। सम्मेलन में शासन और आश्वासन कार्यों, क्रेडिट जोखिम, परिचालन जोखिम, आईटी/साइबर जोखिम और डेटा एनालिटिक्स पर उप गवर्नर और तकनीकी सत्रों के संबोधन भी शामिल थे।
केंद्रीय बैंक ने एक विज्ञप्ति में बताया गया कि डिप्टी गवर्नर एम.के जैन और एम राजेश्वर राव के साथ RBI के पर्यवेक्षण विभाग, विनियमन और प्रवर्तन विभाग के कार्यकारी निदेशक और अन्य वरिष्ठ अधिकारि भी सम्मेलन में शामिल हुए थे।
RBI की विज्ञप्ति में बताया गया है, “गवर्नर ने हाल के दिनों में कई मुश्किलों का सामना करते हुए बेहतर वित्तीय प्रदर्शन के साथ-साथ अर्थव्यवस्था का समर्थन करने में बैंकों द्वारा निभाई गई भूमिका को स्वीकार किया है।”
गवर्नर ने बैंकों के निदेशकों से शासन और आश्वासन कार्यों को और मजबूत करने के लिए कहा जिससे बैंक प्रारंभिक चरण में जोखिमों की पहचान कर सकें और उन्हें कम कर सकें। गवर्नर ने निरंतर वित्तीय और परिचालन को सुनिश्चित करने के लिए बैंकों की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
बैंकरों को दास का संबोधन ऐसे मौके पर आया है जब अमेरिका के कुछ बैंकों में अस्थिरता बानी हुई है।
प्रौद्योगिकी स्टार्टअप की दुनिया में सबसे प्रमुख उधारदाताओं में से एक, सिलिकॉन वैली बैंक, जो संघर्ष कर रहा था, 10 मार्च को ढह गया। इसके बंद होने से संक्रामक प्रभाव पड़ा जिसके बाद अन्य बैंक जैसे- सिग्नेचर बैंक और फर्स्ट रिपब्लिक बैंक को भी बंद कर दिया गया।
अमेरिका में कुछ क्षेत्रीय बैंकों के पतन ने वैश्विक बैंकिंग उद्योग में लहरें भेजी हैं और अर्थव्यवस्थाओं में एक संक्रामक प्रभाव की आशंका पैदा की है।