नई दिल्ली: द इकनोमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्रालय समर्थित भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ काम करने वाले राष्ट्रीय पोषण संस्थान (NIN) द्वारा पहली बार पैकेज्ड खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में चीनी सामग्री की सीमा की सिफारिश की गई है। यह कदम संभावित रूप से ऑनलाइन और शेल्फ पर उपलब्ध अधिकांश ब्रांडेड शीतल पेय, जूस, कुकीज़, आइसक्रीम, अनाज और अन्य वस्तुओं को प्रभावित कर सकता है। NIN-ICMR आहार संबंधी दिशानिर्देशों को 13 वर्षों के बाद संशोधित किया गया है। यह कदम पेय पदार्थों और खाद्य पदार्थों के लिए कैलोरी सीमा की पिछली व्यवस्था में बदलाव का प्रतीक है।
नए दिशानिर्देश अव्यावहारिक : पैकेज्ड फूड कंपनियों का दावा
हालाँकि, पैकेज्ड फूड कंपनियों के अधिकारियों ने कहा कि नए दिशानिर्देश अव्यावहारिक हैं। उन्होंने कहा, अगर सरकार इन सिफारिशों को स्वीकार करने और लागू करने का फैसला करती है, तो अधिकांश ब्रांडेड खाद्य और पेय पदार्थ ब्रांडों को अपने फॉर्मूलेशन में बदलाव करने की आवश्यकता होगी।
दिशानिर्देशों में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन: NIN
हैदराबाद स्थित ‘NIN’ के एक वरिष्ठ कार्यकारी ने कहा, ऐसे दिशानिर्देश पहली बार निर्धारित किए गए हैं। ये वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन करते है। भारत में, इन शब्दों की स्पष्ट परिभाषा का प्रयास अब तक नियामकों या शोधकर्ताओं द्वारा नहीं किया गया है। हालांकि, यह सामान्य ज्ञान है कि उच्च वसा-चीनी और नमक वाले खाद्य पदार्थों और अति प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को कम करना होगा। भारत में नियामकों या शोधकर्ताओं द्वारा अब तक इन शब्दों की स्पष्ट परिभाषा का प्रयास नहीं किया गया है।