कर्नाटक में विकसित ‘रेड राइस’ बना केरल किस्म ‘ज्योति’ का विकल्प

शिवमोग्गा: पिछले दो वर्षों में कर्नाटक में फंगस के लिए मजबूत प्रतिरोध के साथ उच्च उपज देने वाली ‘रेड राइस’ की किस्म ने अपनी पकड़ मजबूत की है। ”सह्याद्रि केम्पुमुक्ति’ चावल की किस्म ‘ज्योति’ का विकल्प बन गई है। सह्याद्री केम्पुमुक्ति’ चावल की किस्म पिछले दो वर्षों में कर्नाटक के कमांड क्षेत्रों में पैर जमा रहा है। आपको बता दे की, कर्नाटक में 11 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान उगाया जाता है।

केलादी शिवप्पा नायक कृषि और बागवानी विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा विकसित, ‘सह्याद्री केम्पुमुक्ति’ फंगस के कारण होने वाला रोग के लिए प्रतिरोधी है। यह भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान सहित 69 संस्थानों द्वारा किए गए उपज परीक्षणों में दूसरे स्थान पर रहा। केंद्रीय किस्म विमोचन समिति ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी कर राज्य के किसानों को इस किस्म की खेती की सिफारिश की है।यूनिवर्सिटी राइस ब्रीडर और डीन बी एम दुष्यंत कुमार ने दावा किया कि, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर किए गए परीक्षण में इसकी उपज 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी। भारत के विभिन्न हिस्सों में कम से कम 60 केंद्रों ने फील्ड परीक्षण किए थे।

‘सह्याद्री केम्पुमुक्ति’ ने 2021 के दौरान ‘राष्ट्रीय जाँच NDR-359’ किस्म की तुलना में 21.30 प्रतिशत अधिक उपज दर्ज की। प्रारंभिक परीक्षण में बेहतर प्रदर्शन के बाद, इसे अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के उन्नत परीक्षणों में पदोन्नत किया गया। चावल की इस किस्म को विकसित करने का काम 2015 में शुरू किया गया था और 2020 में पूरा हुआ।2021-22 के दौरान कर्नाटक में 5,000 एकड़ भूमि पर ‘सह्याद्री केम्पुमुक्ति’ की खेती की गई। किसानों ने कहा कि खेती की लागत में भारी गिरावट आई है। कुमार ने कहा कि, नई किस्म 10 दिनों तक पानी में डूबे रहने को सहन कर सकती है।वैज्ञानिक और चावल प्रजनक अब नई किस्म के बारे में क्षेत्र के किसानों के बीच जागरूकता पैदा कर रहे हैं।

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